Sawan Pradosh Vrat 2023 : क्या है सावन का प्रदोष व्रत, जानिए इसकी महत्ता और पूजा विधि….

Sawan Pradosh Vrat 2023 : क्या है सावन का प्रदोष व्रत : this people become rich on Sawan Pradosh Vrat, know pooja vidhi and tithi

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  • Publish Date - July 9, 2023 / 08:02 PM IST,
    Updated On - July 10, 2023 / 07:45 AM IST

Sawan Pradosh Vrat 2023: सावन महीने की शुरुआत हो चुकी है। इस माह का प्रत्येक दिन देवों के देव महादेव की पूजा-आराधना के लिए समर्पित है। इस साल सावन 59 दिनों का है। इस वजह से सावन में इस बार 4 प्रदोष व्रत होंगे। पहला प्रदोष व्रत 14 जुलाई 2023, दिन शुक्रवार को है। वैसे तो साल भर में पड़ने वाले सभी प्रदोष व्रत महादेव की पूजा के लिए उत्तम माने जाते हैं, लेकिन सावन माह में इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। सावन का महीना और त्रयोदशी तिथि दोनों ही शिव जी को समर्पित है। ऐसे में सावन में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि शिव शंकर की पूजा के लिए बेहद खास मानी जाती है। इस दिन व्रत रखा जाता है और प्रदोष काल में शिव जी पूजा की जाती है। ऐसे में चलिए जानते हैं सावन के पहले प्रदोष व्रत की पूजा विधि और महत्व…

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सावन शुक्र प्रदोष व्रत 2023 पूजा मुहूर्त

शिव पूजा समय – रात 07 बजकर 21 मिनट से रात 09 बजकर 24 मिनट तक

अवधि- 2 घंटे 2 मिनट

सावन शुक्र प्रदोष व्रत 2023 पूजा विधि

सावन प्रदोष व्रत के दिन प्रातः काल जल्दी उठें और स्नान आदि करके पूजा के लिए साफ वस्त्र पहन लें। उसके बाद पूजा घर में दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन व्रत रखते हुए प्रदोष काल में शिव जी की पूजा और उपासना करें। फिर शाम के समय प्रदोष काल में पूजा के दौरान दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें।

शिव जी को भांग, धतूरा, बेलपत्र फूल और नैवेद्य शिवलिंग पर अर्पित करें।

इसके बाद भगवान शिव की प्रतिमा के पास धूप-दीप जला कर प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। अंत में शिवजी की आरती करके पूजा समाप्त करें।

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सावन प्रदोष व्रत का महत्व

वैसे तो शिव पूजा के लिए सभी प्रदोष व्रत उत्तम होते हैं, लेकिन सावन में प्रदोष व्रत रखने वालों पर शिव जी मेहरबान रहते हैं। प्रदोष व्रत के प्रभाव से जातक को वैवाहिक सुख, संतान सुख, धन प्राप्ति और शत्रु-ग्रह बाधा से मुक्ति मिलती है। प्रदोष व्रत में शिव जी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोष काल सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू होता है और 45 मिनट बाद तक मान्य होता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव के साथ मां पार्वती की पूजा करने से शुभ फल

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