पटना के सदियों पुराने कलेक्ट्रेट परिसर को गिराने पर शीर्ष न्यायालय की रोक से राहत मिली: इतिहासकार

पटना के सदियों पुराने कलेक्ट्रेट परिसर को गिराने पर शीर्ष न्यायालय की रोक से राहत मिली: इतिहासकार

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  • Publish Date - September 19, 2021 / 08:02 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:30 PM IST

नयी दिल्ली/ पटना,19 सितंबर (भाषा) बिहार की राजधानी पटना में स्थित सदियों पुराने कलेक्ट्रेट को बचाने के लिए चली कानूनी लड़ाई ने एक ओर जहां इसके ऐतिहासिक महत्व को सामने ला दिया है, वहीं इसे गिराने के प्रस्ताव पर उच्चतम न्यायालय की रोक ने नयी उम्मीद जगाई है। इतिहासकारों और अधिवक्ताओं ने यह राय व्यक्त की है।

दरअसल, इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट ऐंड कल्चरल हेरीटेज (आईएनटीएसीएच) की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने एक वर्ष पहले 18 सितंबर 2020 को बिहार सरकार के एक आदेश पर रोक लगा दी थी। बिहार सरकार ने गंगा नदी के किनारे बसे इस पुराने परिसर को गिरा कर इसके स्थान पर नए कलेक्ट्रेट के निर्माण की योजना बनाई थी।

इतिहासकार एवं लेखिका स्वप्ना लिडल ने कहा कि ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने के लिए लोगों को अदालतों के पास जाना पड़ता है।

उन्होंने कहा,‘‘ और इसने एक तरह से यह भी दर्शाया है कि पटना और अन्य शहरों में तेजी से रहे शहरीकरण के बीच हमारी ऐतिहासिक इमारत किस प्रकार से नाजुक हालत में है। ऐतिहासिक धरोहर और विकास दोनों के बीच तारतम्य बैठाया जा सकता है।’’

आईएनटीएसीएच की दिल्ली इकाई की पूर्व संयोजक लिडल ने कहा, न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक से उम्मीद जगी है कि धरोहर का भी बेहतर भविष्य हो सकता है,न कि विकास के नाम पर इसे ध्वस्त कर दिया जाए।

उच्चतम न्यायालय में आईएनटीएसीएच की ओर से मामले में प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता रोशन संथालिया ने कहा, ‘‘कोई उपाय न रह जाने के बाद ही हम अदालत गए। सरकार में निर्वाचित सदस्यों को हमारी धरोहरों के प्रति थोड़ा अधिक संवेदनशील होना चाहिए। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत है, और हम सब को इसकी रक्षा करने का प्रयास करना चाहिए।’’

भाषा

शोभना सुभाष

सुभाष