यातायात के शोर से बढ़ सकता है हृदय रोग का खतरा: अध्ययन

यातायात के शोर से बढ़ सकता है हृदय रोग का खतरा: अध्ययन

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  • Publish Date - April 28, 2024 / 05:47 PM IST,
    Updated On - April 28, 2024 / 05:47 PM IST

नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) यातायात के बढ़ते शोर से दिल का दौरा पड़ने समेत हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ने की आशंका है। शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में इस बात को साबित किया है।

शोधकर्ताओं को यातायात के शोर और हृदय संबंधी बीमारियों के खतरे के बीच संबंध स्थापित करने वाले साक्ष्य मिले हैं और उन्होंने इस प्रकार के ध्वनि प्रदूषण को हृदय रोगों के लिए जोखिम के कारक के रूप में मान्यता दिए जाने का अनुरोध किया है।

शोधकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम ने महामारी विज्ञान डेटा की समीक्षा की, जो किसी निश्चित बीमारी के जोखिम कारकों की पहचान करने के लिए सबूत मुहैया कराते हैं।

शोधकर्ताओं ने अपनी समीक्षा में पाया कि सड़क यातायात से होने वाले शोर में हर 10 डेसिबल की वृद्धि के साथ मधुमेह और दिल का दौरा सहित हृदय संबंधी बीमारियां होने का जोखिम 3.2 प्रतिशत बढ़ जाता है।

उन्होंने कहा कि खासकर रात के समय नींद को बाधित करने वाला यातायात का शोर रक्त वाहिकाओं में तनाव पैदा करने वाले हार्मोन के स्तर को बढ़ा सकता है, जिससे उच्च रक्तचाप और नाड़ी संबंधी रोग हो सकते हैं।

जर्मनी स्थित ‘यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर मेंज’ में वरिष्ठ प्रोफेसर और ‘सर्कुलेशन रिसर्च’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुख्य लेखक थॉमस मुन्जेल ने कहा, ‘‘हमारे लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि अब ठोस साक्ष्यों के कारण वाहनों के शोर को हृदय रोग का जोखिम बढ़ाने वाले कारक के रूप में पहचाना जा रहा है।’’

शोधकर्ताओं ने सड़क, रेल और हवाई यातायात से होने वाले शोर को कम करने के लिए स्थानीय प्राधिकारियों को कुछ रणनीतियां अपनाने के सुझाव भी दिए हैं।

उन्होंने कहा कि घनी आबादी वाले इलाकों में व्यस्त सड़कों पर शोर अवरोधक लगाने से शोर के स्तर को 10 डेसिबल तक कम किया जा सकता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि शोर कम करने वाले डामर का उपयोग करके सड़कें बनाने से शोर के स्तर को तीन से छह डेसिबल तक कम किया जा सकता है।

इसके अलावा उन्होंने वाहन चलाने की गति को सीमित किए जाने और कम शोर करने वाले वाले टायर के उपयोग को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया।

भाषा सिम्मी रंजन

रंजन