‘सफेद हाथी’ बन गई है ट्राम सेवा, तत्काल इसे बंद करने की कोई योजना नहीं : परिवहन अधिकारी
‘सफेद हाथी’ बन गई है ट्राम सेवा, तत्काल इसे बंद करने की कोई योजना नहीं : परिवहन अधिकारी
कोलकाता, एक अक्टूबर (भाषा) पश्चिम बंगाल सरकार के लिए यद्यपि ट्राम सेवा ‘सफेद हाथी’ बन गई है, लेकिन इसे तत्काल बंद करने की कोई योजना नहीं है। एक वरिष्ठ परिवहन अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी का यह बयान मीडिया के एक वर्ग में कोलकाता में ट्राम सेवा बंद किये जाने संबंधी खबरें आने के मद्देनजर महत्वपूर्ण है।
पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती ने पिछले सप्ताह कहा था कि मैदान से एस्प्लेनेड तक दो किलोमीटर लंबे हेरिटेज खंड को छोड़कर कोलकाता की ज्यादातर सड़कों से राज्य सरकार 151 साल पुरानी ट्राम सेवा बंद करने के पक्ष में है, क्योंकि धीमी गति से ट्राम के चलने से यातायात जाम की समस्या पैदा होती है। मंत्री के इस बयान के बाद कोलकाता में प्रदर्शन शुरू हो गया था।
चक्रवर्ती ने कहा कि चूंकि ट्राम चलाने का मुद्दा अब कलकत्ता उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए राज्य सरकार मामले पर सुनवाई के दौरान यह बताएगी कि वह सेवाएं क्यों बंद करना चाहती है।
एक परिवहन अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने अनौपचारिक रूप से इस मामले को उठाया था और चूंकि यह मामला अदालत के समक्ष विचाराधीन है, इसलिए अभी तक कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया गया है, जो मीडिया के एक वर्ग द्वारा किए जा रहे दावों के विपरीत है।
उन्होंने कहा, ‘‘कोलकाता में तीन मार्गों पर ट्राम सेवाएं जारी हैं और इन सेवाओं को तत्काल बंद करने की हमारी कोई योजना नहीं है। वर्तमान में 12 किलोमीटर के मार्ग पर केवल 27 ट्राम गाड़ियां संचालित हो रही हैं, जबकि 2011 में 61 किमी के मार्ग पर लगभग 100 ट्राम गाड़ियां का परिचालन हो रहा था।’’
परिवहन अधिकारी ने कहा, ‘‘एक बार ट्राम गाड़ी खराब हो जाने पर उसके कल-पुर्जे उपलब्ध न होने के कारण हम उसे ठीक नहीं कर सकते, इसलिए इनकी संख्या में कमी आई है। ट्राम गाड़ियां ‘सफेद हाथी’ बनती जा रही हैं, लेकिन हम अभी भी इन सेवाओं को पूरी तरह से बंद करने के इच्छुक नहीं हैं। हम केवल जमीनी हालात को ध्यान में रखते हुए सेवाओं को तर्कसंगत बनाना चाहते हैं।’’
उन्होंने बताया कि 2011 में प्रतिदिन ट्राम से 70,000 लोग सफर करते थे, जबकि वर्तमान में सिर्फ 5,000-7,000 यात्री ट्राम से यात्रा करते हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘‘यही कारण है कि राज्य ने हेरिटेज वाहनों को छोड़कर 2018 से ट्राम सेवा में निवेश करना बंद कर दिया है। हेरिटेज वाहनों का पर्यटन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हमारा हेरिटेज उद्देश्यों के लिए ट्राम सेवा को बंद करने का इरादा नहीं है।’’
उपलब्ध रिकॉर्ड्स के अनुसार, ट्राम की शुरुआत 24 फरवरी, 1873 को सियालदह से कोलकाता के डलहौजी स्क्वायर होते हुए आर्मेनियाई घाट तक घोड़ागाड़ी के रूप में की गई थी। वर्ष 1882 में भाप से चलने वाले इंजनों के साथ ट्राम सेवा का आधुनिकीकरण किया गया, जबकि पहली विद्युत चालित ट्राम 1900 में शुरू हुई थी।
ट्राम सेवा 20वीं सदी के प्रारंभ में शहर का एक अहम हिस्सा बन गई थी और मध्यम एवं निम्न-मध्यम वर्ग के निवासियों के लिए यह परिवहन का एक लोकप्रिय साधन बन गई थी।
शहर के निवासियों के लिए ट्राम इतनी महत्वपूर्ण हो गई थी कि जब 1953 में इसके किराए में एक पैसा की वृद्धि हुई थी, तो पश्चिम बंगाल में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ कम्युनिस्टों के नेतृत्व में प्रदर्शन हुए थे।
भाषा प्रीति दिलीप
दिलीप

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