बिहार में जारी मतदाता सूची के पुनरीक्षण को दो कार्यकर्ताओं ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी

बिहार में जारी मतदाता सूची के पुनरीक्षण को दो कार्यकर्ताओं ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी

बिहार में जारी मतदाता सूची के पुनरीक्षण को दो कार्यकर्ताओं ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी
Modified Date: July 9, 2025 / 02:24 pm IST
Published Date: July 9, 2025 2:24 pm IST

नयी दिल्ली, नौ जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कराने के निर्वाचन आयोग के फैसले के खिलाफ दो सामाजिक कार्यकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई के लिए बुधवार को सहमति जताई।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमला बागची की पीठ अन्य लंबित याचिकाओं के साथ इस याचिका पर 10 जुलाई को सुनवाई के लिए सहमत हुयी।

इससे पहले अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने मामले पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया। ग्रोवर ने कहा कि अरशद अजमल और रूपेश कुमार ने राज्य में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कराने के निर्वाचन आयोग के 24 जून के फैसले को चुनौती दी है और इसे दूसरे मामलों के साथ सूचीबद्ध करने का आग्रह किया है।

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कार्यकर्ताओं ने दलील दी है यह प्रक्रिया संविधान की मूल संरचना की अभिन्न विशेषताओं यानी स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव तथा चुनावी लोकतंत्र के सिद्धांतों को कमजोर करती है।

उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया गरीबों, प्रवासियों, महिलाओं और संवेदनशील समूहों पर असमान रूप से बोझ डाल रही है, जिनके लिए वोट राजनीतिक जवाबदेही तय करने का एक महत्वपूर्ण साधन है।

याचिका में कहा गया है कि इस तरह के फैसले में कानूनी आधार का अभाव है और इससे मतदाताओं के बड़े वर्ग के मताधिकार से वंचित होने का खतरा है।

याचिका में बिहार में जारी एसआईआर को रद्द करने की मांग की गई है और कहा गया है कि निर्वाचन आयोग का 24 जून, 2025 का आदेश ‘असंवैधानिक’ है।

भाषा जोहेब नरेश

नरेश


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