उदयपुर: आदमखोर तेंदुआ पकड़ से बाहर, दहशत में जी रहे हैं बीस गांवों के लोग

उदयपुर: आदमखोर तेंदुआ पकड़ से बाहर, दहशत में जी रहे हैं बीस गांवों के लोग

उदयपुर: आदमखोर तेंदुआ पकड़ से बाहर, दहशत में जी रहे हैं बीस गांवों के लोग
Modified Date: October 3, 2024 / 10:43 am IST
Published Date: October 3, 2024 10:43 am IST

उदयपुर, तीन अक्टूबर (भाषा) उदयपुर के पहाड़ी वन क्षेत्र में ‘आदमखोर तेंदुआ’ अब तक पकड़ में नहीं आया और गोगुंदा तथा बड़गांव उपखंड के करीब 20 गांवों के लोग दहशत में है। इन लोगों की दिनचर्या अपने घरों में रहने तक सिमट गई है।

वन विभाग, पुलिस और सेना की टीमों के लगातार अथक प्रयासों के बावजूद आदमखोर तेंदुए को पकड़ा नहीं जा सका है। हालांकि, वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि जिस इलाके में तेंदुआ घूम रहा है उसे टीमों ने घेर लिया है और तेंदुए को मार डालने के साथ ही यह अभियान समाप्त होने की उम्मीद है।

इस आदमखोर तेंदुए के पिछले दो हमले जहां हुए, वह दो गांवों का इलाका है। यह उदयपुर शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर है। शुरू में जंगल के आसपास स्थित पांच पंचायत समितियों और 20 गांवों के करीब 20 किलोमीटर के दायरे में तलाश शुरू हुई। आदमखोर तेंदुए ने सभी सात शिकार इसी इलाके में किए हैं।

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अधिकारियों के अनुसार, जैसे-जैसे तेंदुए के हमलों की संख्या बढ़ती गई, तलाश तेज होती गई। टीमों ने उस इलाके की पहचान कर ली है, जहां तेंदुआ घूम रहा है।

गोगुंदा के थानाधिकारी शैतान सिंह नाथावत ने बताया कि आदमखोर तेंदुए के हमले से डरे ग्रामीण एहतियात के तौर पर अपने घरों में ही रह रहे हैं, बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। मवेशियों के लिए चारा लेने जाने वाले पुरुष और महिलाएं भी लाठी लेकर निकल रहे हैं।

वन विभाग ने मंगलवार को जानवर को मार गिराने की अनुमति जारी की। वन विभाग, पुलिस और सेना के 100 से अधिक जवानों ने गांव राठौड़ों का गुड़ा और केलवों का खेड़ा के पास के जंगल में इलाके को घेर लिया है जहां पिछले दो हमले हुए थे। वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि ये टीमें पूरे गांवों और आसपास के जंगल में चौबीसों घंटे तेंदुए की तलाश कर रही हैं।

सूत्रों ने बताया कि कल रात एक कांस्टेबल ने तेंदुए को देखा। तलाशी दल तेंदुए को परेशान करने और उसे पकड़ने के लिए पटाखे फोड़ रहे हैं और ढोल बजा रहे हैं।

उनके अनुसार, केलवों की ढाणी में बरसाती नाले के पास जाल बिछाया गया है। पैरों के निशानों से तेंदुए की मौजूदगी की पुष्टि हुई है।

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि इस क्षेत्र में पहले कभी भी तेंदुओं ने इंसानों पर हमला नहीं किया है, लेकिन इस बार तेंदुआ का व्यवहार बदल गया है।

स्थानीय ग्रामीण भगवती लाल ने बताया, ‘महिलाएं और बच्चे घर के अंदर ही रह रहे हैं। पुरुष तेंदुए की खोज में लगे वन और पुलिस कर्मियों की मदद कर रहे हैं। हम मवेशियों के लिए चारा इकट्ठा करने नहीं जा रहे हैं।’

जिला वन अधिकारी अजय चित्तौड़ा ने पुष्टि की कि सातों हमलों के तरीके से पता चलता है कि ये सभी एक ही तेंदुए ने किए हैं और वह इंसानों को निशाना बना रहा है।

उन्होंने बताया, ‘सभी महत्‍वपूर्ण स्थानों पर पिंजरे लगाए गए हैं, पुलिस और सेना के साथ-साथ उदयपुर, राजसमंद, जोधपुर और रणथंभौर के शूटरों की टीमें इसकी तलाश कर रही हैं। हैदराबाद से विशेषज्ञ शूटर भी मौके पर मौजूद हैं।’

राठौड़ों का गुड़ा गांव के स्कूलों को एहतियातन बंद कर दिया गया है। लोगों को अकेले या रात के समय बाहर जाने से बचने की सलाह दी गई है और लोग भी समझदारी से सहयोग कर रहे हैं। वे किसी जरूरी काम या मेडिकल इमरजेंसी में लाठी साथ लेकर समूह में जाते है।। सोशल मीडिया के जरिए भी जानकारी दी जा रही है।

पुलिस उपाधीक्षक गजेंद्र सिंह ने बताया कि आदमखोर तेंदुए को खोजने के लिए 100 से ज्यादा पुलिस और वनकर्मी लगे हुए हैं। तेंदुए के भागने के संभावित रास्तों के पास टीमें तैनात हैं, जो ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रशासन ने लोगों से अकेले न चलने और खासकर सुबह, शाम और रात के समय सतर्क रहने को कहा है।

प्रशासन ने निर्देश दिया है, ‘जहां मृत जानवर पड़े हों, वहां ज्यादा सतर्क रहें। अगर स्कूल गांव से दूर है, तो बच्चों को समूह में आना चाहिए। बच्चों को पूरे कपड़े पहनाएं। अगर वे निर्वस्त्र हैं, तो तेंदुआ भ्रमित होकर उन पर हमला कर सकता है।’

भाषा पृथ्वी

मनीषा

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