उन्नाव बलात्कार मामले में कुलदीप सेंगर की जेल की सजा निलंबित, जमानत मिली
उन्नाव बलात्कार मामले में कुलदीप सेंगर की जेल की सजा निलंबित, जमानत मिली
नयी दिल्ली/उन्नाव, 23 दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्नाव बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे भाजपा से निष्कासित कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा मंगलवार को निलंबित कर दी।
अदालत ने कहा कि वह पहले ही सात साल, पांच महीने जेल में बिता चुका है।
उच्च न्यायालय ने बलात्कार मामले में दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ अपील लंबित रहने तक सेंगर की सजा पर रोक लगाई है। सेंगर ने दिसंबर 2019 के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
हालांकि, वह जेल में ही रहेगा क्योंकि वह पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत के मामले में 10 साल की सजा भी काट रहा है और उस मामले में उसे जमानत नहीं मिली है।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर ने 15 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतने की ही तीन जमानत राशियां जमा करने का निर्देश देकर सेंगर को जमानत दे दी।
उच्च न्यायालय ने सेंगर को निर्देश दिया कि वह न तो पीड़िता के घर के पांच किलोमीटर के दायरे में जाए और न ही पीड़िता या उसकी मां को कोई धमकी दे।
पीड़िता की जान को खतरे से संबंधित चिंता के बारे में अदालत ने कहा कि उसे उम्मीद है कि पीड़िता को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की सुरक्षा मिलती रहेगी।
अदालत ने कहा, “इस अदालत की राय में यह तर्क वैध नहीं है कि पीड़िता की जान को खतरा होने के मद्देनजर याचिकाकर्ता (सेंगर) को हिरासत में रखा जाए।”
पीठ ने कहा कि अदालतें किसी व्यक्ति को इस आशंका के कारण हिरासत में नहीं रख सकतीं कि सुरक्षा बल अपना काम सही ढंग से नहीं करेंगे।
पीठ ने कहा, “ऐसी टिप्पणियां या सोच हमारे पुलिस/अर्द्धसैनिक बलों के सराहनीय कार्यों पर सवालिया निशान लगाने जैसी हैं।”
पीठ ने फैसला सुनाते समय कहा कि तीन जमानतदार दिल्ली के निवासी होने चाहिए और सेंगर को अपनी अपील के लंबित रहने के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में ही रहना होगा।
अदालत ने निर्देश दिया कि वह अपना पासपोर्ट निचली अदालत में जमा करे और हर सोमवार पूर्वाह्न 10 बजे स्थानीय थाने में उपस्थित हो।
उच्च न्यायालय ने उसकी अपील पर सुनवाई के लिए 16 जनवरी की तारीख तय की।
पीठ ने कहा कि सेंगर पहले ही लगभग सात साल और पांच महीने जेल में बिता चुका है, ऐसे में उसे जेल में रखना संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन व स्वतंत्रता की सुरक्षा) का उल्लंघन होगा।
पीड़िता की सुरक्षा के बारे में अदालत ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने यह ध्यान में रखते हुए मामला उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित किया था कि उसकी स्थिति संवेदनशील और पिता की हत्या हो चुकी है, जिसके लिए सेंगर दोषी पाया गया है।
अदालत ने पीड़िता के वर्तमान निवास क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त को निर्देश दिया कि वह अपील के लंबित रहने के दौरान पीड़िता को दी जा रही सुरक्षा सुनिश्चित करें और उसका व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण करें।
पीठ ने कहा, “सरकार पीड़िता के आवास की भी व्यवस्था कर रही है। दिल्ली महिला आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि पीड़िता को पर्याप्त आवास प्रदान मिले। यह व्यवस्था अगले आदेश तक जारी रहेगी। अपील इस अदालत में लंबित है और किसी भी स्थिति में आवश्यकता पड़ने पर पीड़िता के लिए हमेशा यह अदालत खुली है।
संबंधित मामले के अनुसार, सेंगर ने 2017 में नाबालिग लड़की का अपहरण कर बलात्कार किया था।
उच्चतम न्यायालय के एक अगस्त 2019 के निर्देश के आधार पर बलात्कार और अन्य संबंधित मामले उत्तर प्रदेश की एक निचली अदालत से दिल्ली स्थानांतरित कर दिए गए थे।
पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत होने से संबंधित मामले में सजा के खिलाफ सेंगर की अपील अब भी लंबित है। इस अपील में उसने यह कहते हुए सजा निलंबित करने का आग्रह किया है कि वह पहले ही जेल में काफी समय बिता चुका है। हिरासत में मौत के मामले में उसे 10 साल की सजा सुनाई गई थी।
उन्नाव बलात्कार मामले की पीड़िता ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ बातचीत में कहा कि वह इस फैसले से हैरान है।
पीड़िता ने कहा, “मेरे छोटे बच्चे हैं। घर में एक वृद्ध, दिव्यांग सास और पति है। मेरे बच्चों की सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता है।”
उसने दावा किया कि मुकदमे की प्रक्रिया के दौरान उसके परिवार को बार-बार अदालत के चक्कर लगाने के लिए ‘‘मजबूर’’ किया गया।
पीड़िता ने कहा, “मेरे चाचा की जमानत याचिका खारिज कर दी गई।”
उसने सवाल किया कि उसके परिवार के सदस्यों, कानूनी सहायकों और गवाहों को दी गई सुरक्षा क्यों वापस ली गई।
महिला ने आरोप लगाया, “सामान्यत: सुनवाई के समाप्त होने के दो-तीन दिन बाद फैसला सुना दिया जाता है। लेकिन इस मामले में निर्णय तीन महीने बाद सुनाया गया। फैसले से पहले ही परिवार और गवाहों की सुरक्षा वापस ले ली गई थी।”
पीड़िता ने कहा, “मेरे पिता की हत्या और मुझसे बलात्कार के मामले में आरोपी को कुछ साल जेल में रहने के बाद जमानत मिल गई। यह किस तरह का न्याय है।”
भाषा जोहेब माधव
माधव

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