उप्र : एससी/एसटी मामला वापस लेने की मांग वाली अपील खारिज
उप्र : एससी/एसटी मामला वापस लेने की मांग वाली अपील खारिज
प्रयागराज, 23 दिसंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कुशीनगर के सत्र न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अपील खारिज कर दी है। सत्र न्यायालय ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा वापस लेने का आवेदन खारिज कर दिया था।
न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने छोटे लाल कुशवाहा और तीन अन्य द्वारा दाखिल अपील खारिज करते हुए कहा, “विशेष न्यायाधीश, कुशीनगर ने पूरी बारीकी से प्राथमिकी, धारा 161 के तहत दर्ज बयान और अन्य सामग्री का परीक्षण किया जिसमें धोखाधड़ी और जातिगत गालियों का संकेत मिलता है।”
अदालत ने कहा, “मुकदमा वापस लेने की राज्य सरकार इच्छा, स्वतंत्र जांच की वैधानिक आवश्यकता को कम नहीं करती खासकर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत मुकदमों में।”
अदालत ने कहा, “ बिहार सरकार बनाम राम नरेश पांडेय के मामले में उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 321 के तहत मुकदमा वापस लेने की अनुमति तभी दी जा सकती है जब सरकारी वकील स्वतंत्र और सद्भावनापूर्ण कार्य करता है और अदालत को यह सुनिश्चित करना होगा कि मामला जनहित में वापस लिया जाए न कि आरोपी को ढाल देने के लिए।”
मौजूदा मामले में सरकारी वकील ने राज्य सरकार के पांच जनवरी, 2024 के पत्र के आधार पर धारा 321 के तहत मुकदमा वापस लेने का आवेदन किया जिसके पीछे उसने तर्क दिया कि इस मामले में आगे सुनवाई की आवश्यकता नहीं है।
इस मामले के तथ्यों के मुताबिक, शिकायतकर्ता ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत आवेदन किया था कि उसने अपने पति के लिए कतर में नौकरी और वीजा की व्यवस्था करने के लिए छोटे लाल को 80,000 रुपये भुगतान किया था और शिकायतकर्ता को 23 फरवरी, 2019 तक के लिए वैध वीजा कथित तौर पर एक जनवरी, 2019 को सौंपा गया।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि वह वीजा उपयोग लायक नहीं था और बार बार पैसे वापस मांगने के बावजूद उसका पैसा नहीं लौटायागया। अदालत में आवेदन के साथ 31 जनवरी, 2019 को हुई पंचायत की कार्यवाही और छोटे लाल द्वारा नया वीजा उपलब्ध कराने का कथित तौर पर लिखित शपथ पत्र भी संलग्न किया गया।
शिकायत में यह भी आरोप है कि आठ मई, 2020 को जब शिकायतकर्ता ने पैसे लौटाने के लिए छोटे लाल से संपर्क किया, तो उसे छोटे लाल और उसके परिजनों द्वारा भद्दी भद्दी जातिगत गालियां और आपराधिक धमकी दी गईं।
जांच अधिकारी ने धोखाधड़ी, विश्वासघात, अपमान, आपराधिक धमकी के साथ ही जातिगत गालियां देने के लिए छोटे लाल और उसके परिजनों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
अदालत ने पाया कि सत्र न्यायालय में यह मुकदमा 2020 से विचाराधीन है और निर्णय आना बाकी है, इसे देखते हुए अदालत ने निचली अदालत को छह महीने के भीतर सुनवाई पूरी कर निर्णय देने का निर्देश दिया।
भाषा
सं, राजेंद्र
रवि कांत

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