वांगचुक की एचआईएएल अनुकरणीय कार्य कर रही, उसे यूजीसी की मान्यता मिलनी चाहिए:संसदीय समिति

वांगचुक की एचआईएएल अनुकरणीय कार्य कर रही, उसे यूजीसी की मान्यता मिलनी चाहिए:संसदीय समिति

वांगचुक की एचआईएएल अनुकरणीय कार्य कर रही, उसे यूजीसी की मान्यता मिलनी चाहिए:संसदीय समिति
Modified Date: December 14, 2025 / 12:27 pm IST
Published Date: December 14, 2025 12:27 pm IST

नयी दिल्ली, 14 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली एक संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि लद्दाख के शिक्षाविद एवं कार्यकर्ता सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित ‘हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स’ (एचआईएएल) ‘‘अनुकरणीय’’ कार्य कर रहा है और इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा मान्यता दी जानी चाहिए।

इस सप्ताह की शुरुआत में संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में समिति ने यूजीसी द्वारा एचआईएएल की लंबित मान्यता पर चिंता व्यक्त की।

समिति ने यह भी सिफारिश की कि शिक्षा मंत्रालय एचआईएएल मॉडल का गहन अध्ययन करे और विचार करे कि इसे शिक्षा नवाचार केंद्रों या अन्य हस्तक्षेपों के माध्यम से और जगह कैसे अपनाया जा सकता है।

 ⁠

शिक्षा, महिला, युवा और खेल संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘लद्दाख की अपनी अध्ययन यात्रा के दौरान समिति हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (एचआईएएल) में मौजूद शैक्षणिक, अनुसंधान और उद्यमिता के माहौल से प्रभावित हुई, विशेष रूप से स्थानीय सामाजिक-सांस्कृतिक और पारिस्थितिक संदर्भों में निहित अनुभव आधारित शिक्षा और पठन-पाठन के तरीके को लागू करने में इसकी सफलता से समिति प्रभावित दिखी।’’

उसने कहा कि समिति को यह जानकर चिंता हुई कि यूजीसी ने एचआईएएल को अब तक मान्यता नहीं दी है और यह मामला कई वर्षों से लंबित है। समिति ने पाया कि एचआईएएल ने स्थानीय समुदाय पर जबरदस्त प्रभाव डाला है और अपने बर्फ के स्तूपों और अन्य सामुदायिक सहभागिता गतिविधियों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है।

समिति ने गौर किया कि एचआईएएल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के कार्यान्वयन में आदर्श है, जो इस तरह के अनुभव आधारित और परियोजना-आधारित शिक्षण, सामुदायिक सहभागिता और भारतीय ज्ञान प्रणालियों (आईकेएस) के एकीकरण का आह्वान करता है।

रिपोर्ट के अनुसार समिति ने सिफारिश की कि यूजीसी को एचआईएएल को मान्यता देने पर विचार करना चाहिए।

लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के दो दिन बाद 26 सितंबर को वांगचुक को कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया था। इन प्रदर्शनों में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 लोग घायल हो गए थे। सरकार ने उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया था।

भाषा सुरभि सिम्मी

सिम्मी


लेखक के बारे में