नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) कोविड-19 महामारी के बीच पिछले साल मार्च से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई कर रहे उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह पहले की तरह काम करना चाहता है लेकिन इस मुद्दे पर स्वास्थ्य अधिकारियों की राय मानेगा।
शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के हाल ही में जारी एक परिपत्र के विरुद्ध दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 महामारी का प्रकोप कम होने के मद्देनजर’ अपनी कुछ अदालतों में प्रत्यक्ष सुनवाई की अनुमति दी है।
याचिकाकर्ताओं को इस विषय पर उच्च न्यायालय में जाने की सलाह देते हुए प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जरूरी कार्रवाई करेंगे।’’
कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रख रहे वकील विकास सिंह ने जब शीर्ष अदालत में प्रत्यक्ष सुनवाई बहाल होने के विषय को उठाया तो उन्होंने कहा, ‘‘हम भी पहले की तरह काम करना चाहते हैं। लेकिन इससे पहले स्वास्थ्य अधिकारियों से परामर्श करना चाहते हैं। हम स्वास्थ्य संबंधी विषय पर वकीलों की राय नहीं लेंगे।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हमने चिकित्सकीय राय मांगी है। हम उसके बाद फैसला करेंगे। हम बार की राय जानते हैं। हम पिछले नौ महीने से उनकी बात सुन रहे हैं। हम हर दिन बार सदस्यों का पक्ष सुनते हैं।’’
पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम भी शामिल हैं। सिंह ने पीठ से कहा कि डिजिटल सुनवाई में आम आदमी को न्याय नहीं मिल रहा।
इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘‘यह सच नहीं है। हमारी अदालतों ने एक भी नागरिक को पहुंच से इनकार नहीं किया है।’’
कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मामले को स्थगित करने की मांग करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल ने इस विषय पर चर्चा के लिए वकीलों को आज शाम को बुलाया है।
पीठ ने कहा, ‘‘आप याचिका वापस लीजिए।’’
भाषा वैभव माधव
माधव
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