उद्धव ठाकरे के बारे में ये क्या बोल गए महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल, सुनकर नहीं होगा यकीन…

उद्धव ठाकरे के बारे में ये क्या बोल गए महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल, सुनकर नहीं होगा यकीन : What did the former Governor of Maharashtra

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  • Publish Date - May 11, 2023 / 04:57 PM IST,
    Updated On - May 11, 2023 / 05:29 PM IST

नई दिल्ली । महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह कानून के विशेषज्ञ तो नहीं लेकिन संसदीय व विधायी परम्पराओं के जानकार जरूर हैं और उन्होंने पिछले साल जून में इस संवैधानिक पद पर रहते हुए ‘सोच समझ’ कर तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सदन में विश्‍वास मत हासिल करने को कहा था। कोश्यारी ने महाराष्ट्र में पिछले साल शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिरने और उसके कारण उत्पन्न राजनीतिक संकट से जुड़ी अनेक याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय के आज आए फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही। उच्चतम न्यायालय ने सर्वसम्मति से अपने फैसले में कहा कि पिछले साल 30 जून को महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बुलाना सही नहीं था।

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इस बारे में पूछे जाने पर कोश्यारी ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘मैं राज्यपाल पद से मुक्त हो चुका हूं। तीन महीने हो चुके हैं। राजनीतिक मसलों से मैं अपने को बहुत दूर रखता हूं। जो मसला उच्चतम न्यायालय में था, उस पर न्यायालय ने अपना निर्णय दे दिया है। उस निर्णय पर जो कानूनविद हैं वहीं अपनी राय व्यक्त करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं चूंकि कानून का विद्यार्थी हूं नहीं, मैं केवल संसदीय परंपराएं जानता हूं। विधायी परंपराएं जानता हूं। उस हिसाब से जो मैंने जो भी कदम उठाए, सोच समझ कर उठाए।’’ कोश्यारी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले की व्याख्या और विवेचना करना कानूनविदों का काम है।

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उन्होंने कहा, ‘‘उसने (उच्चतम न्यायालय) सही कहा या गलत कहा, यह मेरा काम नहीं है, समीक्षकों का काम है। और जब किसी का इस्तीफा मेरे पास आ गया, तो मैं क्या कहता कि तुम मत दो इस्तीफा?’’ ज्ञात हो कि शीर्ष अदालत ने महाराष्‍ट्र में महाराष्‍ट्र विकास आघाड़ी सरकार को बहाल करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने स्‍वेच्‍छा से राज्‍य के मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा दिया था। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि ठाकरे ने सदन में विश्‍वास मत का सामना नहीं किया और त्‍यागपत्र दे दिया इसलिए सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से एकनाथ शिंदे को शपथ दिलाने का राज्‍यपाल का फैसला सही था।

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