क्‍या है दुनिया की सबसे पावरफुल करेंसी के पीछे का इतिहास, जानें कब छपा था पहला डॉलर

History of Powerful Currency: अमेरिका की करेंसी की मजबूती का इतिहास पुराना है। डॉलर पहली बार 1914 में छपा था।

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  • Publish Date - July 19, 2022 / 08:06 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:47 PM IST

History of Powerful Currency: हर देश की करेंसी अलग-अलग होती है। डॉलर को वर्तमान समय में विश्व की सबसे मजबूत करेंसी मानी जा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि हर देश की करेंसी अलग-अलग होती है। लेकिन दुनिया में ट्रेड करने के लिए किसी एक करेंसी की जरूरत थी। डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। ये डॉलर से पूरी होती है। ऐसे में हर देश के पास डॉलर का एक फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व रहता है, जिसका इस्तेमाल कर के वह देश की जरूरत की चीजों को आयात करता है। इस सारे खेल में सबसे अधिक फायदा होता है अमेरिका को, क्योंकि वह अपने डॉलर से किसी भी देश से अपनी जरूरत की कोई भी चीज खरीद सकता है। अपनी जरूरतों के लिए उसे सिर्फ कुछ अतिरिक्त डॉलर छापने होंगे।

मंगलवार को बाजार खुले तो 1 डॉलर 80 रुपए से भी ऊपर हो गया। वैसे ग्राफ देखें तो इस साल रुपया डॉलर के मुकाबले 7 फीसदी से अधिक गिर चुका है। माना जा रहा है कि रुपए में एक बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है, क्योंकि फिलहाल अमेरिकी करेंसी ने यूरो को भी पीछे छोड़ दिया है। अपने जन्म के बाद ये पहला मौका है जब यूरो डॉलर से पिटा है। ऐसे में रुपए को लेकर वैश्विक बाजार बहुत ज्यादा आशावान नहीं है।

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अमेरिका की करेंसी का इतिहास

एक रिपोर्ट के मुताबिक पहले विश्व युद्ध के दौरान मित्र देशों ने अमेरिकी सप्लाई के बदले में सोने का भुगतान किया था। उसके बाद अमेरिका सोने का सबसे ज्यादा स्टोरेज करने वाला देश बनव गया। लड़ाई खत्म हुई तो सोने के मानक को खत्म करने के लिए देशों ने अपनी करेंसी को डॉलर के सामने सरेंडर कर दिया। अमेरिका में पहली पेपर करेंसी का इस्तेमाल 1690 में उस समय हुआ था, जब मैसाचुसेट्स बे कॉलोनी ने कॉलोनियल नोट जारी किए थे। इन नोटों का इस्तेमाल सैन्य अभियानों के लिए फंडिंग के तौर पर होता था। अमेरिका ने 1785 में आधिकारिक तौर पर डॉलर के सिंबल को अपनाया। तब से ये लगातार चलन में है।

अमेरिका की करेंसी की मजबूती का इतिहास पुराना है। डॉलर पहली बार 1914 में छपा था। अमेरिका में फेडरल एक्ट लागू होने के साथ केंद्रीय बैंक के रूप में फेडरल रिजर्व की स्थापना हुई है। उसके 1 साल बाद करेंसी की प्रिंटिंग शुरू हुई। फेडरल बैंक ने एंड्रयू जैक्सन की तस्वीर के साथ 10 डॉलर मूल्यवर्ग में पहली बार नोट जारी किया था। उसके 3 दशक बाद डॉलर आधिकारिक तौर पर दुनिया की रिजर्व करेंसी बन गई।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार सभी विदेशी बैंकों के करेंसी भंडार में 59 फीसदी हिस्सा अमेरिकी डॉलर में है। हालांकि अमेरिका की इस करेंसी की मजबूत स्थिति के बावजूद एक चौंकाने वाला फैक्ट यह भी है, कि डॉलर दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी नहीं है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की करेंसी की लिस्ट में यह 10वें नंबर पर है। इस लिस्ट में पहले नंबर पर कुवैती दीनार है। लेकिन फिर भी डॉलर के बगैर कुछ नहीं।

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