आपके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए: न्यायालय ने उप्र के अधिकारियों से कहा

आपके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए: न्यायालय ने उप्र के अधिकारियों से कहा

आपके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए: न्यायालय ने उप्र के अधिकारियों से कहा
Modified Date: February 17, 2025 / 06:04 pm IST
Published Date: February 17, 2025 6:04 pm IST

नयी दिल्ली, 17 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के अधिकारियों से यह बताने को कहा कि शीर्ष अदालत के निर्देश की कथित तौर पर अवज्ञा कर कुशीनगर में मस्जिद का एक हिस्सा गिराने के मामले में उनके खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि अगले आदेश तक संबंधित ढांचे को ध्वस्त नहीं किया जाएगा।

पीठ ने शीर्ष अदालत के पिछले साल 13 नवंबर के निर्देशों का पालन करने में विफल रहने को लेकर कुशीनगर के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ दायर अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।

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शीर्ष अदालत ने 13 नवंबर, 2024 के अपने फैसले में अखिल भारतीय दिशानिर्देश निर्धारित किए और कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना संपत्तियों को ध्वस्त करने पर रोक लगा दी थी तथा पीड़ित पक्ष को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय देने को कहा था।

अधिवक्ता अब्दुल कादिर अब्बासी के माध्यम से दायर नयी याचिका में कहा गया कि प्राधिकारियों ने 9 फरवरी को कुशीनगर में मदनी मस्जिद के बाहरी और सामने के हिस्से को ध्वस्त कर दिया था।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि विवादित संरचना याचिकाकर्ताओं के स्वामित्व वाली निजी भूमि पर बनाई गई थी।

उन्होंने कहा कि यह निर्माण कार्य 1999 के स्वीकृति आदेश के अनुसार नगर निगम अधिकारियों की अनुमति से किया गया था।

अहमदी ने दलील दी कि तोड़फोड़ उच्चतम न्यायालय द्वारा पिछले वर्ष नवंबर में दिए गए फैसले की ‘‘घोर अवमानना’’ है।

पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी करें कि प्रतिवादियों के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।’’

इसने मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद के लिए सूचीबद्ध कर दी।

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘यह भी निर्देश दिया जाता है कि अगले आदेश तक ढांचे को ध्वस्त नहीं किया जाएगा।’’

भाषा नेत्रपाल पवनेश

पवनेश


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