जंगली जानवर ने किया अपने घाव का औषधीय पौधों से उपचार

जंगली जानवर ने किया अपने घाव का औषधीय पौधों से उपचार

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  • Publish Date - May 3, 2024 / 10:15 PM IST,
    Updated On - May 3, 2024 / 10:15 PM IST

नयी दिल्ली, तीन मई (भाषा) किसी जंगली जानवर द्वारा अपने घाव का उपचार औषधीय पौधों से करने का पहला मामला एक नए अध्ययन में दर्ज किया गया है।

इंडोनेशिया में सुआक बालिंबिंग अनुसंधान स्थल पर अनुसंधानकर्ताओं ने देखा कि एक नर सुमात्राई वनमानुष ने बार-बार एक पौधे को चबाया और अपने गाल पर हुए घाव पर इसका रस लगाया।

मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट ऑफ एनिमल बिहेवियर (एमपीआई-एबी) जर्मनी की इसाबेल लॉमर ने कहा, ‘‘वनमानुष के दैनिक अवलोकन के दौरान, हमने देखा कि राकस नाम के एक नर के चेहरे पर घाव हो गया था, संभवतः पड़ोसी नर के साथ लड़ाई के दौरान ऐसा हुआ।’’

अनुसंधान स्थल एक संरक्षित वर्षावन क्षेत्र है जो लुप्तप्राय लगभग 150 सुमात्राई वनमानुषों का घर है। टीम में यूनिवर्सिटास नेशनल, इंडोनेशिया के अनुसंधानकर्ता शामिल थे।

अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि चोट लगने के तीन दिन बाद राकस ने लियाना की पत्तियों को चुनिंदा रूप से चबाया और फिर इसके रस को चेहरे के घाव पर कई मिनट तक बार-बार लगाया।

उन्होंने कहा कि आखिरी कदम के रूप में उसने चबाए गए पत्तों से घाव को पूरी तरह से ढक दिया।

लॉमर ने बताया कि दक्षिण पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय जंगलों में पाए जाने वाले पौधे और संबंधित लियाना प्रजातियां अपने दर्द निवारक, सूजन रोधी और घाव भरने संबंधी महत्वपूर्ण अन्य गुणों के लिए जानी जाती हैं।

पत्रिका ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ में प्रकाशित अध्ययन की लेखक लॉमर ने कहा कि पौधों का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में मलेरिया, पेचिश और मधुमेह जैसी विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।

अनुसंधानकर्ताओं को चोट के बाद के दिनों में घाव में संक्रमण का कोई लक्षण नहीं दिखा। उन्होंने यह भी देखा कि घाव पांच दिन के भीतर भर गया और एक महीने के भीतर पूरी तरह ठीक हो गया।

लॉमर ने कहा, ‘दिलचस्प बात यह है कि घायल होने पर राकस ने सामान्य से अधिक आराम किया। नींद घाव भरने में सकारात्मक प्रभाव डालती है।’

उन्होंने राकस के समझ भरे व्यवहार की प्रकृति को समझाया जिसने ‘चुनिंदा रूप से अपने चेहरे के घाव का इलाज किया’ और शरीर के किसी अन्य हिस्से पर पौधे का रस नहीं लगाया।

भाषा

नेत्रपाल माधव

माधव