मध्याह्न भोजन योजना के तहत भोजन पकाने में कम तेल के उपयोग का परामर्श वापस लिया जाए : तृणमूल |

मध्याह्न भोजन योजना के तहत भोजन पकाने में कम तेल के उपयोग का परामर्श वापस लिया जाए : तृणमूल

मध्याह्न भोजन योजना के तहत भोजन पकाने में कम तेल के उपयोग का परामर्श वापस लिया जाए : तृणमूल

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Modified Date: March 26, 2025 / 01:39 PM IST
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Published Date: March 26, 2025 1:39 pm IST

नयी दिल्ली, 26 मार्च (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को तृणमूल कांग्रेस की एक सदस्य ने मध्याह्न भोजन योजना के तहत भोजन पकाने में कम तेल का उपयोग करने संबंधी परामर्श को वापस लिए जाने की मांग करते हुए कहा कि इससे बच्चों के विकास पर असर पड़ेगा।

शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए सेन ने कहा कि परामर्श में मध्याह्न भोजन योजना के तहत भोजन पकाने में तेल का उपयोग दस प्रतिशत कम करने को कहा गया है ताकि बच्चों में मोटापे की समस्या न बढ़े।

उन्होंने कहा कि मध्याह्न भोजन योजना पर निर्भर कई बच्चे गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं और उन्हें मोटापे के बजाय कुपोषण की समस्या होने की आशंका अधिक होती है।

सेन ने कहा कि भोजन पकाने में इस्तेमाल होने वाला तेल बच्चों की वृद्धि और उनके संज्ञानात्मक विकास के लिए जरूरी है। ‘‘इसे कम करने से बच्चों को समस्या हो सकती है, भोजन का स्वाद भी बदल सकता है। कहा जा सकता है कि इससे भोजन की गुणवत्ता से भी समझौता हो सकता है।’’

उन्होंने मांग की कि इस परामर्श पर अमल करने से पहले प्रमाण आधारित अध्ययन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नीतियां ऐसी होनी चाहिए जिससे वास्तविकताओं को देखते हुए लाभार्थी को वास्तव में लाभ मिल सके।

सेन ने कहा कि इस फैसले की समीक्षा की जानी चाहिए और परामर्श को वापस लिया जाना चाहिए।

शून्यकाल में ही द्रमुक सदस्य एन षणमुगम ने आंगनवाड़ी में बच्चों और गर्भवती माताओं के लिए पोषण की व्यवस्था का जिक्र करते हुए दावा किया कि इसकी निगरानी करनी चाहिए क्योंकि एक ओर तो लाभार्थी वंचित रह जाते हैं दूसरी ओर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के पास स्मार्ट फोन भी नहीं हैं।

षणमुगम ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाए जाने और उन्हें अन्य लाभ दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि बच्चों और गर्भवती माताओं के स्वास्थ्य की देखभाल में अहम भूमिका निभाने वाली ये कार्यकर्ता हड़ताल कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि इन आंगनवाड़ी कार्यकताओं की पीड़ा सुनी जाए और उन परिस्थितियों की समीक्षा की जाए जिन परिस्थितियों में वे काम करती हैं।

द्रमुक सदस्य के आर एन राजेश कुमार ने तमिलनाडु के लिए गेहूं का आवंटन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु खाद्य उत्पादक राज्य नहीं है और वह भारतीय खाद्य निगम द्वारा किए जाने वाले आवंटन पर निर्भर रहता है।

उन्होंने मांग की राज्य की आबादी को देखते हुए उसके लिए गेहूं का आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए।

राजद के ए डी सिंह ने कहा कि नेपाल से सोयाबीन तेल आयात होने से भारतीय किसानों को नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि सरकार को यह आयात तत्काल रोकना चाहिए ताकि भारतीय किसानों के हितों की रक्षा हो सके।

बीआरएस के बी पार्थसारथी रेड्डी ने फर्मास्युटिकल उत्पाद से जुड़ा मुद्दा उठाया।

भाषा

मनीषा माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)