पितृ पक्ष में पूवर्जों का तर्पण करने से वे प्रसन्न होते हैं। जिससे पितृ दोष (च्पजतं क्वेी) से मुक्ति मिलती है। पितृ पक्ष के दौरान श्रद्धा पूर्वक पितृ देव को जल देने का विधान है।
कुत्ता और गाय कुत्तों को यम का दूत माना जाता हैं। वहीं पितृ पक्ष में पंचबली भोग में कुत्ते और गाय के नाम का भोग भी निकाला जाता है। इसी के साथ श्राद्ध पक्ष में गाय-कुत्ते का घर के द्वार पर आना बहुत शुभ माना जाता है। अगर ये रास्ते में भी दिख जाए तो इन्हें कभी मारकर भगाएं नहीं, कुछ न कुछ खाने को जरूर दें। ऐसा करने से पितृ गण की आत्मा को शांति मिलती है।
गरीब और जरूरतमंद पितृ पक्ष के समय अगर घर में कोई मेहमान, गरीब और असहाय व्यक्ति द्वार पर आए तो उसका कभी अनादर न करें। इनके लिए भोजन की व्यवस्था करें। इन्हें कभी खाली हाथ न लौटाएं, कुछ दान दक्षिणा जरूर दें।
इस बार पितृ पक्ष की शुरूआत 10 सितंबर, शनिवार से हो रहा है। वहीं पितृ पक्ष का समापन 25 सितंबर, मंगलवार को होगा।
पितृ पक्ष में घर आए कौए को कभी भगाएं नहीं बल्कि कौए को भोजन दें। ऐसा नहीं करने पर पितरों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, श्राद्ध पक्ष में 15 दिन तक कौए के द्वारा ही पितर अन्न ग्रहण करते हैं। इससे न सिर्फ वो तृप्त होते हैं बल्कि अपने परिजनों को खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देते हैं।