Bejod Bastar: लाल आतंक के साए के बीच आसान हुआ ग्रामीणों का जीवन, सड़कों के निर्माण ने लिखी विकास की नई इबारत

Bejod Bastar: लाल आतंक के साए के बीच आसान हुआ ग्रामीणों का जीवन, सड़कों के निर्माण ने लिखी विकास की नई इबारत

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  • Publish Date - January 24, 2023 / 11:51 AM IST,
    Updated On - January 24, 2023 / 11:51 AM IST

रायपुर। Bejod Bastar बस्तर में विकास के पैमाने को बढानें में सबसे बड़ा रोल सड़कों का होता हैं, वही यंहा इलाके ऐसे थे जँहा पहुंच मार्ग नहीं होने के चलते, विकास कार्य प्रशासनिक योजनाए ग्रामिणों तो नहीं पहुँच पा रही थी, लेकिन सड़क मार्ग बनाना आसान नहीं था सबसे बड़ी बड़ी चुनौतीयां थी, क्यों कि इलाका माओवादियों के कब्जे में हुआ करता था। ऐसे में सबसे सराहनीय कार्य यंहा तैनात सुरक्षा बलों के जवानो का भी है, जवानो ने अपनी जान न्यौछावर कर सड़क पर सुरक्षा दी और दहशत के साए में सड़कों का निर्माण कराया, हम बात कर रहे हैं नारायणपुर जिले को दंतेवाड़ा से जोड़ने वाली सड़क पल्ली बारसूर, SH 5 मार्ग की जिसके निर्माण के बाद यंहा दोनों जिलों के बाशिन्दों के भाग खोल दिये हैं।

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Bejod Bastar छत्तीसगढ़ में दो बड़े शक्तिपीठो को सड़क मार्ग से सीधे जोड़ने SH 5 सड़क मार्ग की योजना बनाई गई थी, इस योजना अंतर्गत शक्तिपीठ रत्नपुर को राजनांदगांव, दल्लीराजहरा, भानुप्रतापपुर, से नारायणपुर होते हुए धौड़ाई, से सीधे दंतेवाड़ा जिले को जोड़ा जाना था, इसमें सबसे बड़ी चुनौती धौड़ाई से बारसूर तक के मार्ग बनाने की थी। ऐसे में सबसे बड़ी समस्या माओवादियों के उस आधार इलाके में थी जन्हा माओवादियों की तूती बोलती थी, समस्या दोनों जिलों की थी, जिसके बाद सुरक्षा का बीड़ा दोनों दोनों जिलों के सुरक्षा बलों के जवानो ने अपने कंधों पर ले लिया, ये दोनों जिलों के फैसला महज 80 किलो मीटर का था लेकिन माओवादियों का सबसे बड़ा बेस हुआ करता था, दंतेवाडा और नारायणपुर जिलें के द्वारा संयुक्त ऑपरेशन इन इलाको में लगातार लौंच किया गया, नक्सलियो के आधार इलाके में लगातार नक्सलियो से मुठभेड़ हुई, जवानो के लगातार इलाको में दश्तक ने नक्सलियो के बेस को इन्स्तेनाबुत किया, जिसके बाद दोनों जिलो के संयुक्त समन्वय से मार्ग में हर 5 किलोमीटर की दुरी पर कैम्पो स्थापित किये गए और लगातार सडक सूराक्ष डियूटी कर लगातार सडको का निर्माण कराया गया।

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नारायणपुर जिले की पुलिस के द्वारा 2017 से 2020 तक पल्ली बारसूर सडक मार्ग पर लगातार 3 बड़े कैमो को स्थापित किया गया यह कैम्प संयुक्त बलों के द्वारा खोला गया, कैम्प में I.T.B.P. भारतीय तिब्बत सीमा सुरक्ष बल, C.A.F.छतीसगढ़ आर्म्स फ़ोर्स, जिला पुलिस बल के जवानो को तैनात किया गया, वही दंतेवाडा जिले के द्वारा भी तीन नए कैम्प सडक सुरक्ष के लिए खोले गए वही इन कैम्पों की जिमीदारी C.R.P.F. केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल को दी गई, सड़क सुरक्ष के दौरान जवानो ने अपनी जान न्योछावर कर दी वहीं लगातर जवानो पर हुए नक्सली हमले में 8 जवानो शहादत हुए, जिसमे सबसे बड़ी घटना नारायणपुर कन्हारगाँव और कड़ेनार कैम्प के मध्य बुकिंगतोर नाले में हुई जिसमे 5 जवानों की शहादत हुई और 17 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए थे, नक्सलियों ने जवानों से भरी बीएस को अपना निशाना बनाया था, वहीं अलग—अलग नक्सलों घटनाओं में भारतीय तिब्बत सीमा बल के जवानों ने भी अपनी जान दी, वहीं घटनाओं के बाद इलाके में लगातार नक्सलियों के खिलाफ दोनों जिलों के जवानों के द्वारा संयुक्त ऑपरेशन चलाया जा रहा है, वही अब जवानों के द्वारा सुरक्ष साए में नारायणपुर पल्ली बारसूर सड़क मार्ग पूरी तरह से बन कर तैय्यार हैं।

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नारायणपुर पल्ली बारसूर सड़क मार्ग बनने के बाद दोनों जिलों के फासले कम हो गए है, नक्सल हमलो में यंहा शहीद हुए जवानो का बदला घनघोर जंगलो और पहाड़ो को चिर कर पक्की सड़क बनाकर निकाला गया लम्बे समय तक नक्सलियो के कब्जे को खाली काराया गया ,आजादी के दशको बाद बनी सड़क ने दोनों जिलो के फासले कम कर दिए और यंहा के ग्रामीणों की तकदीर भी बदल दी,स्वास्थ शिक्षा, जैसी सुविधाओं का अभाव अब पूरी तरह से खत्म होता नजर आ रहा है।

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