सिजोफ्रेनिया के लक्षण और बचाव, जाने हेल्थ गुरु से | Symptoms of schizophrenia

सिजोफ्रेनिया के लक्षण और बचाव, जाने हेल्थ गुरु से

सिजोफ्रेनिया के लक्षण और बचाव, जाने हेल्थ गुरु से

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:37 PM IST, Published Date : May 28, 2019/10:26 am IST

रायपुर। सिजोफ्रेनिया के बारे में अधिकांश व्यक्ति को पता नहीं होता कि आखिर इसके लक्षण होते क्या हैं या इसे कैसे समझा जा सकता है। सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक रोग है। जिसमें व्यक्ति की सोचने, काम करने, भावनाओं को अभिव्यक्त करने की क्षमता कम हो जाती है। जिसके चलते रोगी कल्पना और वास्तविकता में अंतर नहीं कर पाता।जिसके चलते रोगी को अक्सर समाज, स्कूल, रिश्तों में समस्याएं आती हैं। इस रोग के कारण रोगी अक्सर खुद को डरा हुआ महसूस करता है। आमतौर पर इस रोग के लक्षण किशोरावस्था में दिखाई देते हैं। आइए इस रोग के बारे में जानते हैं डॉ प्रमोद गुप्ता से।
सिजोफ्रेनिया के लक्षण
– विचारों में परिवर्तन
– सही गलत का निर्णय न कर पाना
– विचारधारा का वास्तविकता से दूर होना
– भ्रम होना
– अजीब सी आवाजें सुनाई देना
– शरीर के अंदर कीटाणुओं के चलने जैसा महसूस होना
– वास्तविकता से अलग दृश्य दिखाई देना
– मतिभ्रम होना
– एक विषय पर बात करते-करते किसी दूसरे विषय की बात करने लगना
– बात करते-करते उग्र हो जाना
– व्यवहार में परिवार्तन
– दृष्टिभ्रम, जल्दी-जल्दी मूड बदलना
– किसी से बहुत अधिक ईर्ष्या
– गुमसुम रहना
– अकारण सभी पर शक करना
– आत्महत्या या किसी की हत्या तक का विचार मन में आना
– सोचने समझने की शक्ति कम होना
– हर समय डरा सहमा रहना
– काफी तेज गुस्सा आना
– व्यक्ति का भ्रम में जीना
– अपनी ही चीजों को रखकर भूल जाना
– काल्पनिक बातों को हकीकत समझना
– साधारण काम करने में भी परेशानी होना
– अकेले रहने अच्छा लगना

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सिजोफ्रेनिया के कारण
– ये रोग परिवार में अगर किसी को रहा हो तो आपको भी हो सकता है
– जीन में गड़बड़ी
– मस्तिष्क में कुछ रसायनों का असामान्य निर्माण होना
– असामान्य मस्तिष्क संरचना
– नशीले पदार्थों का ज्यादा सेवन
– ज्यादा तनाव
– बच्चा होने पर पिता की उम्र 35 से ज्यादा होना
– दिमागी दवाओं का रिएक्शन
– मनोवैज्ञानिक कारण, पारिवारिक समस्याएं
– तनाव भरे वातावरण में परवरिश
– गर्भावस्था के दौरान दवा का रिएक्शन
– मस्तिष्क स्थित रसायन डोपामाइन की अधिकता

सिजोफ्रेनिया रोगी की देखभाल
– सिजोफ्रेनिया के रोगी से नम्र व्यवहार करें
– रोगी की बातों को गौर से सुनें, अनसुना न करें
– रोगी को रोजाना समय पर दवा दें
– सकारात्मक पारिवारिक सहयोग जरूरी
– रोगी को किसी भी तरह की टेंशन से दूर रखें
– रोगी को प्रोत्साहित करना जरूरी
– रोगी को रोगी होने का एहसास बार-बार न कराएं
– रोगी को उसके काम स्वयं करने दें
सिजोफ्रेनिया का इलाज
– ये रोग अगर पहली बार होता है तो ठीक होने के लिए 1 साल से डेढ़ साल तक दवा लेनी पड़ती हैं
– रोग अगर दूसरी बार होता है तो लगभग 3 साल तक दवा लेनी पड़ती हैं
– रोग अगर तीसरी बार होता है तो लगभग 5 साल तक दवा लेनी पड़ती हैं
– ये रोग अगर चौथी बार होता है तो दवाएं जीवन भर लेनी पड़ सकती हैं
– दवा नियम से और बिना गैप को लेनी पड़ती हैं

 
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