Politics on Naxalite: नक्सलवाद, सुझाव, सवाल और सियासत… क्या नक्सल मोर्चे पर एक नहीं हो सकता पक्ष-विपक्ष? देखें रिपोर्ट

Politics on Naxalite: नक्सलवाद, सुझाव, सवाल और सियासत... क्या नक्सल मोर्चे पर एक नहीं हो सकता पक्ष-विपक्ष? देखें रिपोर्ट

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  • Publish Date - May 27, 2024 / 09:56 PM IST,
    Updated On - May 27, 2024 / 10:20 PM IST

Politics on Naxalite: रायपुर। छत्तीसगढ़ के एक बड़े हिस्से खासकर बस्तर में विकास का सबसे बड़ा रोड़ा नक्सलवाद रहा है। हालिया घटना को ही ले लें बस्तर, नारायणपुर में जाने-माने वैद्यराज मांझी ने नक्सिलयों के बार-बार धमकी भरे पुर्जों के बाद ये ऐलान किया कि वो अपना काम यानि वैद्य के तौर पर लोगों का इलाज और अपना मान यानि ‘पद्मश्री’ पुरस्कार लौटा रहे हैं, क्योंकि नक्सलियों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी है।  हालांकि, बाद में प्रदेश सरकार ने उन्हें मांझी को Y श्रेणी की सुरक्षा दी और उन्होंने अपना पुरूस्कार लौटाने का फैसला रद्द कर दिया।

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ये घटना दर्शाती है नक्सली अपना भय का साम्राज्य छोड़ना नहीं चाहते। सरकार का संकल्प है, दावा है 2-3 सालो में देश से नक्सलवाद खत्म होगा। ये मोदी की गारंटी है। प्रदेश सरकार ने इसके लिए विपक्ष और नक्सली दोनो से सुझाव मांगे हैं, जिस पर अब पॉलिटिकल बहस का नया मोर्चा खुल गया है।

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2023 का पूरा चुनाव, बीजेपी ने ‘मोदी की गारंटी’ पर लड़ा और जीता। 2024 में भी बीजेपी को सबसे ज्यादा मोदी को फेस और मोदी की गारंटी पर भरोसा है। छत्तीसगढ़ में मोदी की गारंटी में एक बड़ी गारंटी नक्सलवाद का खात्मा भी है। साय सरकार का दावा है कि इस दिशा में प्लानिंग के साथ, तेजी से काम हो रहा है। गृह मंत्री विजय शर्मा ने पिछले दिनों बार-बार कहा है कि सरकार नक्सलियों से किसी भी माध्यम से चर्चा को तैयार है। उन्होंने नई नक्सली और पुनर्वास नीति पर लोगों से यहां तक की नक्सलियों से भी सुझाव मांगे हैं। इस पर कांग्रेस ने सरकार का दिशाहीन बताया।

जवाब में गृह मंत्री विजय शर्मा ने साय सरकार के कार्यकाल के 5 महीनों में नक्सल मोर्चे पर मिली कामयाबी से जुड़े आंकड़े पेश किए। कांग्रेस को चुनौती दी वो भी भूपेश सरकार के पिछले 5 सालों के दौरान नक्सल मोर्चे पर मिली कामयाबी के आंकडे सार्वजनिक करें। गृहमंत्री ने विपक्ष को इस मामले में राजनीति ना करने की नसीहत दी है। उल्टे गृहमंत्री विजय शर्मा ने PCC चीफ दीपक बैज से पूछा कि वे बताएं कि नक्सल उन्मूलन के लिए क्या करना है, कोई भी सुझाव दे सकता है, वो भी दें।

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इधर, जवाब में PCC चीफ दीपक बैज ने कहा कि हमारी सरकार में नक्सलियों के लिए बेहतर पुनर्वास नीति थी। इसलिए नक्सलियों ने आत्मसमर्पण भी किया। बैज ने आरोप लगाया कि साय सरकार, छत्तीसगढ़ की जनता को गुमराह कर रही है। सरकार की नीयत और नीति दोनों साफ नहीं है। पटवार में डिप्टी सीएम अरुण साव ने तंज कसा कि बस्तर में शांति और विकास के लिए सरकार काम, कांग्रेस को रास नहीं आ रहे।

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सब चाहते हैं, देश से प्रदेश से नक्सलवाद का सफाया होना ही चाहिए। भयमुक्त बस्तर के बिना विकसित छत्तीसगढ़ का सपना पूरा होना मुमकिन नहीं है। इसके लिए बातचीत, सुझाव और जमीनी स्तर पर एक्शन सभी जरूरी हैं। सरकार का साफ संदेश है कि सुझाव कोई भी दे सकता है। विपक्ष भी, नक्सली भी, ध्यान हल पर हो ना कि सियासत पर। बड़ा सवाल ये कि बिना सियासत पक्ष-विपक्ष इस मुद्दे पर एक साथ, एक स्वर में बात कर सकता है ?

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