Azamgarh By polls Result 2022 bhojpuri actor Dinesh Lal Yadav won  

सपा के गढ़ ‘आजमगढ़’ में कमल खिलाने वाले दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ ने किया था ये वादा, जो जनता के दिल में बस गई, IBC pedia में पढ़िए बिरहा गायक से लेकर राजनीति तक का सफर

Azamgarh By polls Result 2022, Dinesh Lal Yadav Nirhua : अब भोजपुरी गायक और अभिनेता दिनेश लाल यादव आजमगढ़ जिले के हो गए हैं।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:58 PM IST, Published Date : June 26, 2022/6:31 pm IST

Azamgarh By polls Result 2022, Dinesh Lal Yadav Nirhua : अब भोजपुरी गायक और अभिनेता दिनेश लाल यादव आजमगढ़ जिले के हो गए हैं। उन्होंने अखिलेश यादव के गढ़ यानी आजमगढ़ में सेंध लगाकर सपा के अमेद्य किले को ध्वस्त कर दिया है। इस तरह बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों आजमगढ़ और रामपुर के लिए हुए उपचुनाव में शानदार जीत हासिल कर ली है। आजमगढ़ उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने जीत दर्ज की है। उन्होंने सपा के धमेंद्र यादव को 10 हजार वोटों से हराया। उन्होंने सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव और बीएसपी के गुड्डू जमाली को मात दी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रामपुर और आजमगढ़ में भाजपा की जीत की जानकारी दी है। सीएम ने दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ और घनश्याम लोधी को जीत की बधाई दी है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी निरहुआ को जीत की बधाई दी है।

आमतौर पर आजमगढ़ को सपा का गढ़ माना जाता है। बीजेपी पीएम नरेंद्र मोदी के 2014 के लहर और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी यहां से जीत नहीं दर्ज कर पाई थी। सुबह से ही बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव बढ़त बनाए हुए थे।

जीत के बाद निरहुआ ने ट्वीट कर लिखा कि  “जनता की जीत! आजमगढ़वासियों आपने कमाल कर दिया है। यह आपकी जीत है। उपचुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही जिस तरीके से आप सबने भाजपा को प्यार, समर्थन और आशीर्वाद दिया, यह उसकी जीत है। यह जीत आपके भरोसे और देवतुल्य कार्यकर्ताओं की मेहनत को समर्पित है।

‘दुइए बरिस क मौका ह… एह बारी जिता द…

Azamgarh By polls Result 2022, Dinesh Lal Yadav Nirhua : निरहुआ ने भोजपुरी में कहा कि ‘दुइए बरिस क मौका ह… एह बारी जिता द, अगर नीक ना करब त हरा दिहा लोगन…’ यह बात दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने उस वक्त कही था जब वह अखिलेश यादव के गढ़ ‘आजमगढ़’ की जनता से वोट मांग रहे थे। वह जानते थे कि समय कम है, चुनौती बड़ी है और अखिलेश यादव चुनाव के बाद जनता के बीच दिखे नहीं हैं। उनका वादा ही आजमगढ़ की जनता के दिल में धंस गया या यूं कहें कि बस गया था। फिर क्या था.. आज जो हुआ वह तो सिर्फ मुहर है.. दरअसल, इसकी स्क्रिप्ट तो निरहुआ के उसी वादे से लिखी जा चुकी थी। सपा समज ही नहीं पाई और बीजेपी ने देखते-देखते रामपुर और आजमगढ़ दोनों किलों को ध्वस्त कर दिया।

सपा और बीजेपी के बीच रही कड़ी टक्कर

आजमगढ़ में जब नतीजे आना शुरु हुए तो बीजेपी और सपा के बीच कड़ी टक्कर दिखाई दी। सपा कैंडीडेट धमेंद्र यादव ने निरहुआ को कड़ी टक्कर दी। हालांकि बसपा के गुड्‌डू जमाली भी बाकी कैंडीडेट्स को टक्कर देते दिखे और तीसरे स्थान पर रहे। बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से अखिलेश यादव करीब 60 फीसदी वोट प्रतिशत पर अपना कब्जा जमा चुके थे। ऐसे में ये चुनाव सपा के लिए चिंता का विषय है। जबकि पिछले चुनाव में निरहुआ को केवल 35 फीसदी वोट मिले थे और इस बार उन्होंने चुनाव जीत लिया।

पिछली बार से लिया सबक

पिछले चुनाव में अखिलेश यादव ने मायावती के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था। ऐसे में अखिलेश की जीत का प्रतिशत पिछले चुनाव में काफी बड़ा था। लेकिन इस बार के चुनाव में बीएसपी ने अपना अलग कैंडीडेट खड़ा किया, जिससे सपा और बसपा के वोट प्रतिशत पर भी असर पड़ा है। जहां एक तरफ बसपा पहले से काफी मजबूत स्थिति में दिखी, वहीं सपा के लिए ये चिंतन का समय है। इसके अलावा बीजेपी के लिए ये उपचुनाव काफी फायदेमंद साबित हुए है क्योंकि उसने रामपुर और आजमगढ़, दोनों जगह कमल खिला दिया है।

Azamgarh By polls Result 2022, Dinesh Lal Yadav Nirhua :  आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में जीत का परचम लहराने वाले दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने सपा से हार का प्रतिशोध ले लिया है। भोजपुरी अभिनेता से राजनेता बने ‘निरहुआ’ 2019 के आम चुनावों में अखिलेश यादव से हार गए थे। दो साल बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी को उसके गढ़ आजमगढ़ बुरी तरह हराया है। भाजपा ने आजमगढ़ सीट से ओबीसी वोटों को ध्यान में रखते हुए यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया था।

कौन हैं दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ?

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के रहने वाले ‘निरहुआ’ का जन्म 2 फरवरी 1979 को हुआ था। भोजपुरी फिल्म उद्योग में एक लोकप्रिय नाम दिनेश लाल यादव ने बिरहा गायन से लेकर एलबम बनाने और अभिनय तक सब कुछ किया है। निरहुआ ने मनोरंजन के हर रूप में सफलता का स्वाद चखा है। एक विनम्र पृष्ठभूमि से आने वाले यादव को अपने शुरुआती वर्षों में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। उनके पिता 3,500 रुपये मासिक वेतन पर कोलकाता में काम करते थे। सात लोगों का परिवार इसी मासिक कमाई से गुजारा करता था।

‘निरहुआ सटल रहे’ से हुए फेमस

बिरहा गायकी से करियर की शुरुआत करने वाले दिनेशलाल यादव ने साल 2012 में,एलबम ‘निरहुआ सटल रहे’ बनाया था। इस एलबम का शीर्षक सॉन्ग ‘निरहुआ सटल रहे’ काफी फेमस हुआ। इस एलबम के बाकी गानों ने भी जमकर धूम मचाया। इसके बाद दिनेशलाल यादव निरहुआ के नाम से फेमस हो गए और अपने नाम के पीछे  निरहुआ लगाने लगे।

‘निरहुआ रिक्शा वाला’ ने दी कामयाबी

किसी समय, यादव ने यूपी छोड़ने और अपने पिता के साथ बंगाल जाने का फैसला किया। उन्होंने अपने प्रारंभिक वर्ष बंगाल में बिताए। उन्होंने 2006 में अपने अभिनय की शुरुआत की। लेकिन यह 2008 की ब्लॉकबस्टर ‘निरहुआ रिक्शा वाला’ थी जिसने अभिनेता को बहुत जरूरी नाम और प्रसिद्धि दी। 2012 में, निरहुआ ने अपना संगीत एल्बम ‘निरहुआ सटल रहे’ जारी किया और एक गायक के रूप में भी नाम कमाया। अब, दिनेश लाल यादव उत्तर प्रदेश और बिहार में एक जानी-मानी हस्ती हैं।

सपा कर चुकी है सम्मानित

चुनावों ने भले ही निरहुआ को प्रतिद्वंद्वी खेमे में खड़ा कर दिया हो, लेकिन अखिलेश यादव सरकार ने उन्हें एक बार ‘यश भारती’ पुरस्कार से सम्मानित किया था। बीजेपी को मनोरंजन उद्योग के उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए जाना जाता है, जिनका एक स्थापित जनसंपर्क है। मनोज तिवारी हों या रवि किशन, पार्टी के लिए महत्वपूर्ण चुनावों में हिंदी पट्टी से भोजपुरी सितारों को उतारने का विचार नया नहीं है।

आजमगढ़ और रामपुर उपचुनावों पर टिकीं थीं नजरें

आजमगढ़ और रामपुर उपचुनावों पर सबकी नजरें टिकी थीं। यूं तो उपचुनावों पर लोगों को कोई खास दिलचस्पी नहीं होती मगर इन दोनों सीट पर सभी को दिलचस्पी थी। इसका कारण ये था कि ये दोनों समाजवादी पार्टी के कोर वोटर की सीटें कहीं जाती है। इस बार 2022 यूपी विधानसभा चुनावों में एम, वाई समीकरण चला था। भाजपा की सीटें पहले से कम जरूर हुई मगर योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बनें। हम यहां पर आजमगढ़ के बारे में बात करेंगे कि आखिरकार आजमगढ़ में ऐसा क्या हुआ कि जनता ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव जोकि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चचेरे भाई भी हैं उनको हार का मुंह देखना पड़ा। ये हार समाजवादी पार्टी के लिए बड़ी चिंताजनक है और वहीं बीजेपी ने सपा का एक और पार्टी का गढ़ ढहा दिया।

चुनावी यात्रा की दौरान दिख गया था माहौल

लोगों को समाजवादी पार्टी ने नहीं बल्कि अखिलेश यादव से नाराजगी थी। मगर लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों में काफी फर्क होता है। उस दौरान माहौल कुछ और था चुनने वाला नेता भी कोई और था। आजमगढ़ के अंदर 10 विधानसभा सीटें आती हैं। आजमगढ़ जिले की आबादी 46,13,913 लाख है। जिले की औसत साक्षरता दर 70.93 फीसदी है। आजमगढ़ जिले में तो विधानसभा की 10 सीटें हैं, लेकिन लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें आती हैं। विधानसभा सीटों के नाम गोपालपुर, सगरी, आज़मगढ़, मेंहनगर और मुबारकपुर हैं। मेंहनगर की विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।

यहां का जातिगत समीकरण

Azamgarh By polls Result 2022, Dinesh Lal Yadav Nirhua :  यहां पर लगभग 26 फीसदी यादव वोटर हैं। इसके बाद यहां मुस्लिम वोटर हैं और 80 हजार राजभर वोटर्स हैं। यहां पर एम वाई समीकरण को अगर आप मिला दें किसी भी प्रत्याशी के लिए चुनाव जीतना मुश्किल काम नहीं है। विधानसभा चुनाव के दौरान आजमगढ़ की जनता की एक शिकायत थी। उन्होंने कहा कि हमने अखिलेश यादव को 2.5 लाख से भी ज्यादा वोटों से जितवाया था। हमने अखिलेश भइया को दिल से वोट दिया था और लगा था कि हमारे जिले की सूरत बदलेगी मगर अखिलेश यादव पांच सालों में महज एक बार यहां पर आए हैं वो भी किसी पार्टी नेता के घर पर तेरहवीं के कार्यक्रम में। अखिलेश यादव ने हमारे जिले में कोई काम नहीं कराया। ऐसा कहने वाले बहुत लोग थे। स्थानीय लोगों ने बताया था कि हमारे जिले का नाम अक्सर गलत कारणों से ही चर्चा में रहता है मगर हम लोग चाहते हैं कि यहां पर विकास हो, तरक्की हो हमारे लिए रोजगार पैदा हों। यहां के युवा आगे बढ़े।

एकदम चढ़कर लड़ी बीजेपी

इसके अलावा जीत के पीछे कारण है बीजेपी का अटैकिंग नेचर। आप इसी से अंदाजा लगाइये कि बीजेपी ने सिर्फ आजमगढ़ सीट के लिए 40 स्टार प्रचारकों को उतार दिया था। एक उपचुनाव को भी पार्टी ने पूरी ताकत से जड़ा। इसके अलावा निरहुआ अपने चुनावी कैंपन के दौरान लोगों से ये कह रहे थे कि मुझे केवल दो साल का टाइम देकर देख लीजिए। अगर मैं काम न कर पाऊं तो मुझे अगले चुनावों में हरा दीजिएगा। यानी कि 2024 में फिर से लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। दिनेश लाल यादव निरहुआ 2019 लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी लगातार एक्टिव रहे। वो अपने संसदीय क्षेत्र में लगातार लोगों से मिलते रहे, बातचीत करते रहे और लोगों के बीच रहे। लेकिन समाजवादी के बड़े नेता इस दौरान नदारद रहे। अखिलेश यादव तो एक भी बार प्रचार करने नहीं पहुंचे।

लोगों के बीच रहे निरहुआ

दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ लगातार भागते रहे, कैंपन में लगे रहे और बार-बार ये कहते रहे कि हमको बस 2 साल का मौका दिजिए। सबको आप पांच साल का मौका देते हैं मुझे केवल दो साल का मौका दीजिए। आजमगढ़ की जनता को उनकी ये बात काफी रास आई। उनका ये कमेंट लोगों के दिल पर बैठ गया। लोगों ने सोचा कि ये इतना अहम चुनाव नहीं है निरहुआ को मौका दे दिया जाए। आजमगढ़ में स्टेडियम, पार्किंग, सड़कें इस तरह के बहुत सारे मुद्दे हैं। लोगों की मांग है कि यहां पर भी विकास की बात की जाए।

 

लोकसभा सीट का समीकरण

आजमगढ़ लोकसभा सीट के तहत मेंहनगर, आजमगढ़ सदर, मुबारकपुर, सगड़ी और गोपालपुर विधानसभा सीटें आतीं हैं। मेंहनगर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां एक लाख से ज्यादा दलित वोटर हैं। इसके अलावा 70 हजार से ज्यादा यादव वोटर भी हैं। राजभर और चौहान मतदाताओं की संख्या भी 35 हजार से अधिक है। इस सीट पर मुस्लिम वोटरों की संख्या भी 20 हजार से ज्यादा है। आजमगढ़ सदर सीट पर सबसे ज्यादा 75 हजार से अधिक यादव वोटर हैं। दलित और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी 60 हजार के करीब है। मुबारकपुर मुस्लिम बहुल सीट है। यहां मुस्लिम मतदाता एक लाख 10 हजार से ज्यादा हैं। वहीं, दलित वोटरों की संख्या 78 हजार तो यादव वोटरों की संख्या 61 हजार के करीब है। बसपा उम्मीदवार गुड्डू जमाली इस सीट से 2017 में विधानसभा चुनाव जीते थे। सगड़ी सीट 82 हजार से ज्यादा अनुसूचित जाति के मतादाता हैं। वहीं, यादव मतदाताओं की संख्या भी 55 हजार से ज्यादा है। कुर्मी वोटरों की संख्या 40 हजार से ज्यादा है तो मुस्लिम मतदाता भी 30 हजार से अधिक हैं। आजमगढ़ लोकसभा के तहत आने वाली पांचवीं सीट गोपालपुर यादव बहुल है। यहां 68 हजार से ज्यादा यादव वोटर हैं। दलित मतदाताओं की संख्या भी 53 हजार से ज्यादा है। वहीं, मुस्लिम मतदाता भी 42 हजार से अधिक हैं।

अखिलेश यादव ने छोड़ी थी सीट

Azamgarh By polls Result 2022, Dinesh Lal Yadav Nirhua :  आजमगढ़ के चुनावी इतिहास को देखें तो पिछले करीब पांच चुनावों में यह सीट दो नेताओं के आसपास घूमती दिखती है। वह हैं रमाकांत यादव और मुलायम सिंह यादव परिवार। रमाकांत यादव ने तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों के टिकट पर इस सीट से चुनाव लड़ा और जीते। जब वर्ष 2014 में मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ आए तो यह सीट उनके पाले में चली गई। इसके बाद उनके बेटे अखिलेश यादव ने यहां से जीत दर्ज की। यूपी चुनाव 2022 में मैनपुरी के करहल विधानसभा सीट से जीत दर्ज कर पहली बार विधानसभा पहुंचे अखिलेश यादव ने सांसदी छोड़ दी।

ibc pedia