Mahakumbh 2025: 40 सालों से नहीं कटाए बाल, अब महाकुंभ में पहुंचे 7 फुट लंबी जटाओं वाले बाबा, जानिए क्‍या है वजह ?

Mahakumbh 2025: 40 सालों से नहीं कटाए बाल, अब महाकुंभ में पहुंचे 7 फुट लंबी जटाओं वाले बाबा, जानिए क्‍या है वजह ?

Mahakumbh 2025: 40 सालों से नहीं कटाए बाल, अब महाकुंभ में पहुंचे 7 फुट लंबी जटाओं वाले बाबा, जानिए क्‍या है वजह ?

Mahakumbh 2025 | IBC24

Modified Date: January 11, 2025 / 12:01 pm IST
Published Date: January 11, 2025 11:30 am IST

अयोध्या: Mahakumbh 2025 आस्था की भूमि प्रयागराज जहां धर्म का सबसे बड़ा आयोजन होने जा रहा है। आस्था-विश्वास का महापर्व महाकुम्भ इस साल 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू हो रहा है। 50 दिन से ज्यादा चलने वाले इस पर्व में देश-दुनिया से करोड़ों लोग स्नान करने आएंगे। मान्यता है कि गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं। जैसे जैसे महाकुंभ की तारीख नजदीक आ रही है। उसके साथ ही महाकुंभ में शामिल होने के लिए देश के कोने कोने से साधु संत यहां पहुंच रहे हैं। महाकुंभ में साधु संन्यासी इस समय चर्चा का विषय बने हुए हैं। ऐसा ही एक साधु है जो असम से आए हैं। जो इन दिनों का​फी सुखियों में है।

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Mahakumbh 2025 उनके बाद और दाढ़ी काफी लंबी है। इस बाबा का नाम त्रिपुरम सैकिया है। बताया जा रहा है कि इस बाबा का बाल सात ​फीट लंबा है। वह असम के लखीमपुर जिले के हैं। बताया जा रहा है कि बाबा त्रिपुरम जूना अखाड़े में दीक्षा ली है। हैरानी की बात यह है कि इस बाबा ने 40 सालों से बाल नहीं कटाया है यानी पिछले 40 वर्षों से जटा धारण कर रखी है।

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अपने जटा के बारे में उन्होंने बताते हुए कहा कि इसकी लंबाई डेढ़ फुट और थी। लेकिन कुछ समय से यह पैरों में फंसने लगी थी। इसके चलते उन्होंने नीचे से इसका कुछ हिस्सा काटकर ब्रह्मपुत्र नदी में चढ़ा दिया। उन्होंने बताया कि उन्हें पहले संन्यास आदि के बारे में जानकारी नहीं थी। लेकिन उनके गुरु ने उन्हें इसके बारे में जानकारी दी।

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बाबा त्रिपुरम ने बताया कि वो पहले एक छोटी सी दुकान में कपड़ों की सिलाई करते ​थे। उन्होंने कहाकि जटा रखने के चलते उन्हें थोड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है। इसको मैनेज करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन यह भगवान की देन है। हम इसको बांधकर रखते हैं। उन्होंने कहाकि कुछ लोग उनकी जटा पर सवाल उठाते हैं। कई बार कहने लगते हैं कि यह असली है या नकली है। यह कहते ही त्रिलोक बाबा ने अपनी जटा को लहरा दिया और कहाकि अपनी आंखों से देख लीजिए कि यह असली है या नकली है।

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