Sudhanshu trivedi on Rajya Sabha, image source: loksabha tv
Sudhanshu trivedi on Rajya Sabha : बीती रात राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान जमकर हंगामा हुआ। चर्चा के दौरान बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी के कुछ टिप्पणियों ने विपक्ष को नाराज़ कर दिया, खासतौर पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को, जिन्होंने त्रिवेदी के बयान को आपत्तिजनक बताया और उसे कार्यवाही से हटाने की मांग की।
सुधांशु त्रिवेदी ने अपने भाषण में कहा कि सरकार ने मुस्लिम समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब ताजमहल को वक्फ संपत्ति बताने की कोशिश हुई, तो सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से शाहजहां के समय का फरमान मांग लिया। त्रिवेदी ने तंज कसते हुए कहा, “जहां-जहां खुदा है, वहां-वहां भगवान है। बाकी आप लोग खुद ही बुद्धिमान हैं।”
Sudhanshu trivedi on Rajya Sabha: इसके साथ ही उन्होंने इशरत जहां, अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी का नाम लेते हुए कहा कि ये लोग आज विपक्षी दलों से जुड़े हैं। इस पर एनसीपी (शरद गुट) की सांसद फौजिया खान ने आपत्ति जताई।
जब त्रिवेदी ने अपने बयान में 26/11 मुंबई हमलों को लेकर एक टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने यह संकेत दिया कि “इस सदन में एक सदस्य हैं जिन्होंने कहा था कि 26/11 हमले आरएसएस ने कराए थे”, तो दिग्विजय सिंह भड़क गए। उन्होंने इसे अपमानजनक बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई और कहा, “मैं इसकी निंदा करता हूं।” इस पर त्रिवेदी ने पलटवार किया, “मैंने आपका नाम लिया ही नहीं, आपने उड़ता तीर क्यों ले लिया?”
इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन बहस और गरमा गई। शाह ने कहा कि जिन लोगों के नाम लिए गए वे विपक्षी गठबंधन से जुड़े थे और त्रिवेदी ने सही कहा है। उन्होंने दिग्विजय सिंह को चुनौती देते हुए कहा कि अगर उन्होंने 26/11 को लेकर ऐसा कुछ नहीं कहा था तो माइक चालू करवा कर सार्वजनिक रूप से इनकार करें।
दिग्विजय सिंह ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने कभी ऐसा बयान नहीं दिया और उसका खंडन करते हैं। फिर उन्होंने गुजरात दंगों का जिक्र किया और सवाल किया कि उन दंगों के समय कौन जिम्मेदार था। इस पर अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा, “जब दंगे हुए, तब मैं गृह मंत्री नहीं था। मैं 18 महीने बाद उस पद पर आया। इन्हें मेरा हौवा ऐसा है कि हर जगह मैं ही दिखाई देता हूं।”
वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस और आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले। हालांकि सभापति जगदीप धनखड़ ने स्थिति को शांत करने की कोशिश की, लेकिन राजनीतिक गर्मी साफ तौर पर महसूस की गई।