क्या टीकमगढ़ सीट पर जीत की हैट्रिक लगा पाएगी भाजपा, दांव पर मोदी सरकार के राज्यमंत्री की साख

क्या टीकमगढ़ सीट पर जीत की हैट्रिक लगा पाएगी भाजपा, दांव पर मोदी सरकार के राज्यमंत्री की साख

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  • Publish Date - May 5, 2019 / 11:30 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:28 PM IST

टीकमगढ़| मध्यप्रदेश की आदिवासी आरक्षित सीटों में से एक टीकमगढ़ लोकसभा सीट भी है। इस सीट का इतिहास को कोई ज्याद पुराना नहीं है। इस सीट में अब तक महज दो लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें भाजपा उम्मीदवार वीरेंद्र कुमार ने अपना परचम लहाराया है। टीकमगढ़ लोकसभा सीट परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आई। सांसद विरेंद्र सिंह, मोदी सरकार में राज्यमंत्री हैं। वह पहली बार 1996 में सागर लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे। वीरेंद्र कुमार अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। वह 6 बार लोकसभा के सांसद रह चुके हैं। ऐसे में उनकी नजर 2019 के चुनाव में फिर विजय हासिल करने और यहां पर हैट्रिक लगाने पर होगी।

8 विधानसभा सीट

टीकमगढ़ लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. टीकमगढ़, निवारी, छतरपुर, जतारा, खरगापुर, बीजावर, पृथ्वीपुर और महाराजपुर, ये वो विधानसभा सीटें हैं जो टीकमगढ़ लोकसभा सीट के अंतर्गत आती हैं। इन 8 में से 4 पर बीजेपी, 3 पर कांग्रेस और 1 पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है।

राजनीतिक समीकरण

टीकमगढ़ लोकसभा सीट आदिवासी आरक्षित सीट है। इस सीट पर अब तक 2009 और 2014 में महज दो चुनाव ही हुए हैं। पूरे टीकमगढ़ जिले को कवर करने वाली यह सीट छतरपुर के कुछ हिस्सों तक भी फैली हुई है। 2009 में हुए यहां पर पहले चुनाव में बीजेपी के वीरेंद्र कुमार ने जीत हासिल की। उन्होंने कांग्रेस के अहीरवार वृन्दावन को हराया। इसके अगले चुनाव यानी 2014 में वीरेंद्र कुमार जीत हासिल करने में कामयाब रहे। इस बार उन्होंने कांग्रेस के कमलेश वर्मा को शिकस्त दी। यहां पर दो चुनाव हुआ और दोनों में वीरेंद्र कुमार का जादू चला है।

सामाजिक ताना-बाना

टीकमगढ़ टीकम (श्री कृष्ण का एक नाम)से टीकमगढ़ पड़ा है। टीकमगढ़ जिला बुंदेलखंड क्षेत्र का एक हिस्सा है। यह जामनी, बेतवा और धसान की एक सहायक नदी के बीच बुंदेलखंड पठार पर है। 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की जनसंख्या 2300287 है। यहां की 77.2 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 22.8 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है। टीकमगढ़ की 23.61 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति और 4.5 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है। टीकमगढ़ संसदीय सीट पर बमुश्किल 0.6 फीसदी खटीक हैं। अहिरवार इससे बीस गुना ज्यादा यानी 12.8 फीसदी। ऐसे में खटीक को ब्राह्मण (11 प्रतिशत), यादव (11.6) वोटों पर भरोसा है। 

2014 का जनादेश

2014 के चुनाव में वीरेंद्र कुमार ने कांग्रेस के कमलेश वर्मा को हराया था। वीरेंद्र कुमार को इस चुनाव में 4,22,979 वोट मिले थे तो वहीं कमलेश वर्मा को 2,14,248 वोट मिले थे. वीरेंद्र कुमार ने 2,08,731 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के डॉ अंबेश 47,497 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे।

2009 का जनादेश

2009 के चुनाव में भी इस सीट पर बीजेपी के वीरेंद्र कुमार ने जीत हासिल की थी। उन्होंने इस बार कांग्रेस के अहीरवार वृन्दावन को हराया था। इस चुनाव में वीरेंद्र कुमार को 2,00,109 वोट मिले थे तो वहीं अहीरवार वृन्दावन को 1,58,247 वोट मिले थे।

मतदाताओं का आंकड़ा

चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 के चुनाव में यहां पर 15,29,003 मतदाता थे। इसमें से 7,08,095 महिला मतदाता और 8,20,908 पुरुष मतदाता थे। 2014 के चुनाव में इस सीट पर 50.12 फीसदी वोटिंग हुई थी।

2019 में क्या है जनता की राय

लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस ने किरण अहिरवार को प्रत्याशी बनाकर जातियों को साधने की कोशिश की है। जबकि भाजपा ने अपने 6 बार के सांसद व केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक पर ही दांव चला है। वहीं, बसपा ने आरडी प्रजापति पर इस सीट पर जीत का जिम्मा सौंपा है, उन्हें सपा का समर्थन मिलेगा। वहीं, चुनावी मैदान में तीन उम्मीदवार प्रजापति  (एनआर प्रजापति, आरबी प्रजापति और प्रमोद प्रजापति) सरनेम वाले हैं। ऐसे में कुम्हार जाति के लोगों का वोट बंटना तय है। ऐसे हालात में देखना यह होगा कि क्या मोदी सरकार के राज्यमंत्री अपनी जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे।