#SarkarOnIBC24 : बंगाल में चुनाव.. प्रत्याशी पर पथराव, निर्वाचन प्रकिया के बीच आखिर क्यों नहीं थम रही हिंसा?

निर्वाचन प्रकिया के बीच आखिर क्यों नहीं थम रही हिंसा? Why is the violence not stopping during the election process?

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  • Publish Date - May 26, 2024 / 12:21 AM IST,
    Updated On - May 26, 2024 / 12:22 AM IST

रायपुरः लोकसभा चुनाव के छठे चरण का मतदान भी आज संपन्न हो गया.. जो आमतौर पर शांतिपूर्ण रहा, हालांकि हर बार की तरह पश्चिम बंगाल में हिंसा की घटनाएं भी देखने को मिली। यहां एक TMC नेता की मौत हो गई। मतदान के बीच बीजेपी और TMC कार्यकर्ताओं के बीच टकराव की कई घटनाएं सामने आई। वहीं पुलिस और प्रशासन के साथ भी उनकी तकरार हुई।

पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग की तमाम कोशिशों के बावजूद हिंसा नहीं थमी। झारग्राम, खड़कपुर और पूर्वी मेदिनापुर में मतदान को प्रभावित करने की कोशिश की गई। सबसे पहले बात झारग्राम की जहां मतदान के दौरान बीजेपी उम्मीदवार प्राणनाथ टुडू पर ईंट-पत्थरों से हमला कर दिया गया। घटना का वीडियो भी सामने आया, जिसमें प्राणनाथ और उनके सुरक्षाकर्मी भागते दिख रहे हैं। हमले में प्राणनाथ टुडू घायल हो गए। उनकी सुरक्षा में तैनात दो सुरक्षाकर्मियों को भी चोटें आई। बीजेपी का आरोप है कि एक मतदान केंद्र में बीजेपी के एजेंटों को जाने नही दिया जा रहा था। इस शिकायत पर प्राणनाथ जैसे ही वहां पहुंचे हमला हो गया। बीजेपी ने इसके लिए TMC को जिम्मेदार ठहराया है।

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बंगाल के खड़गपुर के बोनपुरा गांव में बीजेपी प्रत्याशी अग्निमित्रा पॉल की कार को पुलिस ने रोक दिया, जिस पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने हंगामा कर दिया। अग्निमित्रा पॉल बूथों का दौर कर रही थी। उन्होंने TMC के इशारे पर उनकी कार रोकने का आरोप लगाया और चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की बात कही। वहीं पुलिस ने नियमानुसार कार्रवाई की बात कही।

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असल में पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा की शुरूआत छठे चरण के मतदान से पहले ही शुरू हो गई थी। पूर्वी मेदिनीपुर में शुक्रवार की रात बीजेपी और TMC कार्यकर्ताओं के बीच हुई झपड़ में एक TMC नेता की मौत हो गई थी। विरोध में TMC कार्यकर्ताओं ने पुरुलिया के बीजेपी दफ्तर में तोड़फोड़ कर दी थी। जन्मू-कश्मीर की अनंतनाग लोकसभा सीट पर भी छठे चरण में वोट डाले गए, जहां से पीडीपी प्रमुख महबूबा एक पुलिस थाने के बाहर धरने पर बैठ गई। महबूबा ने आरोप लगाया कि PDP के पोलिंग एडेंट्स को जबरन पकड़करथाने में बंद किया जा रहा है। उनके मोबाइल की आउटगोइंग सुविधा भी बिना कारण बताए बंद कर दी गई है। लोकसभा चुनाव का घमासान आखिरी चरण में है। ये चुनाव अपनी कई उपलब्धियों के लिए याद किया जाएगा तो कुछ सबक भी पीछे छोड़ जाएगा। सबक इस बात का कि सुरक्षा में कहां चूक रह गई। हिंसामुक्त चुनाव का सपना पूरा कराने के लिए चुनाव आयोग को और क्या जरुरी कदम उठाने की जरुरत है।