इंदौर में बीएसएफ के शस्त्र संग्रहालय में संजोए गए 300 दुर्लभ हथियार

इंदौर में बीएसएफ के शस्त्र संग्रहालय में संजोए गए 300 दुर्लभ हथियार

  •  
  • Publish Date - May 17, 2024 / 02:05 PM IST,
    Updated On - May 17, 2024 / 02:05 PM IST

(कल 18 मई को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर विशेष)

इंदौर (मध्यप्रदेश), 17 मई (भाषा) क्या आपने कभी ऐसी बंदूक देखी है जो बाहर से तो किसी आम छड़ी की तरह नजर आती हो, लेकिन घोड़ा दबते ही इससे निकली गोली निशाने पर लगने के बाद दुश्मन का काम तमाम करने में सक्षम हो।

ऐसी तीन ‘‘स्टिक गन’’ इंदौर में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के केंद्रीय आयुध एवं युद्ध कौशल विद्यालय (सीएसडब्ल्यूटी) के शस्त्र संग्रहालय की शोभा बढ़ा रही हैं।

अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि बीएसएफ के पहले महानिदेशक केएफ रुस्तमजी की सोच से 1967 में स्थापित इस संग्रहालय में 300 दुर्लभ हथियार संजोए गए हैं। इनमें बंदूक, पिस्तौल, रिवॉल्वर, राइफल, सब मशीन गन, लाइट मशीन गन (एलएमजी), मीडियम मशीन गन (एमएमजी), रॉकेट लॉन्चर, मोर्टार और ग्रेनेड लॉन्चर शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि अलग-अलग स्रोतों से जुटाए गए इस नायाब संग्रह में बड़े हथियारों के साथ ही ऐसी ‘‘मिनी पिस्तौल’’ भी हैं जो हथेली में समा जाती हैं।

सीएसडब्ल्यूटी के महानिरीक्षक बीएस रावत ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया कि इस संग्रहालय में खासकर 14वीं सदी के हथियारों से लेकर बाद की पीढ़ियों के हथियारों को प्रदर्शित किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस संग्रहालय के जरिये आपको पता चलता है कि शुरुआत में मानव जाति किन हथियारों का इस्तेमाल करती थी और पहला व दूसरा विश्व युद्ध आते-आते हथियारों का किस तरह क्रमिक विकास होता चला गया।’’

रावत ने बताया कि बीएसएफ के इस संग्रहालय में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शहीद भगत सिंह की वह पिस्तौल भी थी जिसका इस्तेमाल उन्होंने लाहौर में 17 दिसंबर 1928 को ब्रितानी पुलिस अफसर जेपी सॉन्डर्स को जान से मारने में किया था।

उन्होंने बताया कि अमेरिकी हथियार निर्माता कम्पनी कोल्ट्स की बनाई इस सेमी ऑटोमेटिक पिस्तौल को केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों के मुताबिक 2017 में पंजाब भेज दिया गया था और फिलहाल यह हथियार फिरोजपुर जिले के हुसैनीवाला के एक संग्रहालय में प्रदर्शित है।

रावत ने बताया कि भगत सिंह की शहादत के सम्मान में उनकी इस ऐतिहासिक पिस्तौल की तस्वीर इंदौर में बीएसएफ के शस्त्र संग्रहालय में लगाई गई है।

उन्होंने यह भी बताया कि सीएसडब्ल्यूटी में प्रशिक्षण के लिए आने वाले कर्मियों को संग्रहालय के इन हथियारों से परिचित कराया जाता है ताकि उन्हें पता चल सके कि पुरानी पीढ़ी के देशी-विदेशी हथियारों में कौन-सी कमियां थीं और इन्हें कैसे दूर किया गया।

भाषा हर्ष मनीषा वैभव

वैभव