Brahmin society demanded Brahmin welfare commission

ब्राह्मण समाज की हुंकार के बाद बीजेपी और कांग्रेस के छूट रहे पसीने, इन शर्तों को सुन मंच पर भी जाने से घबरा रहे नेता…

Brahmin society demanded Brahmin welfare commission ब्राह्मणों ने चुनावी साल में बीजेपी और कांग्रेस के सामने बड़ा ऑफर रखा है।

Edited By :   Modified Date:  May 29, 2023 / 06:09 PM IST, Published Date : May 29, 2023/4:46 pm IST

Brahmin society demanded Brahmin welfare commission: भोपाल। राजपूतों के बाद अब ब्राह्मणों ने चुनावी साल में बीजेपी और कांग्रेस के सामने बड़ा ऑफर रखा है। दावा किया है कि अगर उनकी शर्तें जो भी राजनैतिक दल मान लेगा तो ब्राह्मण समाज का पूरा वोट उसी दल मिलेगा। जाहिर है ब्राह्मण समाज की हुंकार के बाद बीजेपा और कांग्रेस के पसीने छूट रहे हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि ब्राह्मण समाज के ही नेता अब अपने मंच पर जाने से भी घबरा रहे हैं।

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ब्राह्मण समाज ने रखी ये मांग

दलितों, क्षत्रियों के बाद अब चुनावों के पहले ब्राह्मण समाज ने भी बीजेपी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ब्राह्मण समाज 4 जून को भोपाल में बड़ी सभा कर रहा है। सभा के जरिए प्रदेश के पूरे ब्राह्मणों को एकजुट करने की कोशिश हो रही है। दरअसल ब्राह्मण समाज ये मांग कर रहा है कि ब्राह्मणों के लिए प्रदेश में ब्राह्मण कल्याण आयोग बने जिसमें दर्ज संवैधानिक हो। आयोग में राजनैतिक हस्तक्षेप न हो। एट्रोसिटी एक्ट को खत्म किया जाए। ब्राह्मण अत्याचार निवारण अधिनियम बने।

ब्राह्मणों की 14 फीसदी आबादी के मुताबिक उन्हें भी आरक्षण दिया जाए और वो सारी सुविधाएं दी जाएं तो एससी एसटी कैटेगरी को दी जाती है। सामान्य वर्ग की सीटों पर ओबीसी कैंडिडेट के बजाए सामान्य वर्ग के व्यक्ति को चुनाव में टिकट दिया जाए। परशुराम जयंती पर सार्वजनिक अवकाश का ऐलान हो। मठ मंदिर के पुजारियों का मानेदय 10 हजार प्रतिमाह करने के साथ ही दान का 50 फीसदी हिस्सा पुजारियों को दिया जाए। जाहिर है ब्राह्मण समाज ने अपनी इस मांग पत्र को हुंकार का नाम देकर बीजेपी सरकार की नींद उड़ा दी है।

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राजनैतिक दलों की बढ़ी मुसीबत

Brahmin society demanded Brahmin welfare commission: दरअसल ब्राह्मण समाज की मांगों ने न सिर्फ बीजेपी को बल्कि कांग्रेस को भी सकते में डाल दिया है। चुनावी साल है ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस किसी भी समाज से बैर नहीं लेना चाहती तो ब्राह्मणों के महाकुंभ में शामिल होने से भी राजनैतिक बिरादरी बच रही है। उधर ब्राह्मणों ने 14 फीसदी आबादी का दावा ठोंककर बीजेपी कांग्रेस के सामने चुनावों में अपनी एहमियत बता दी है। जाहिर है ब्राह्मणों की हुंकार सुनने के बाद बीजेपी और कांग्रेस के मुंह बंद हो गए हैं।

मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में सिर्फ 5 महीनों का वक्त बचा है। कांग्रेस बीजेपी सत्ता में वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है। लेकिन चुनावी साल में दलितों,पिछड़ी जातियों और सवर्णों ने अपनी ताकत दिखाकर राजनैतिक दलों की मुसीबत बढ़ा दी है। अब राजनैतिक दलों के सामने चुनौती समाजों के बड़े वोट बैंक को साधने की है।

 

 

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