(रिपोर्टः नवीन कुमार सिंह) भोपालः मिशन 2023 को फतह करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं। कांग्रेस जहां संगठन को मजबूत करने के लिए लगातार बैठकें कर रही है तो वहीं बीजेपी तिरंगा यात्रा के बाद महापुरुषों के ज़रिए अलग-अलग समाज को साधने की कोशिश कर रही है और ये संदेश देना चाहती है कि वो सबके साथ हैं। दोनों के अपने-अपने दावे हैं, लेकिन उनके दावों में कितना है दम?
मध्यप्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी कांग्रेस बेकरार है। कांग्रेस जहां अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा हासिल करने के लिए मशक्कत कर रही है। तो बीजेपी सत्ता में बने रहने के लिए तरह तरह के जतन कर रही है। बीजेपी को जीत के लिए नया मंत्र मिला है। तिरंगा यात्रा के बाद बीजेपी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम पर बड़ा दांव खेलने जा रही है। इसी साल आज़ादी के नायकों की याद में बड़े सम्मेलन करने की तैयारी कर रही है। वो भी जातिगत आधार पर यानि मध्यप्रदेश के मुरैना में रामप्रसाद बिस्मिल की याद में ब्राम्हणों का क्षेत्रीय सम्मेलन, आदिवासियों के रॉबिन हुड कहे जाने वाले धार में जन्मे अमर क्रांतिकारी टंट्या भील के लिए निमाड़ में आदिवासी सम्मेलन, अन्य पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए ग्वालियर चंबल की शान झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती, पुण्यतिथि पर मेगा शो की तैयारी में है बीजेपी, इसी तरह बीजेपी महाकौशल, बुंदेलखंड और इंदौर में भी बड़े कार्यक्रम की तैयारी में है। इससे पहले चंद्रशेखर आज़ादी की जन्मस्थली भाबरा से बड़ी यात्रा निकाल कर शुरुआत कर चुकी है।
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दूसरी ओर कांग्रेस ने भी सत्ता में वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक दी है प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने जिलाध्यक्षों के साथ ही जिले में प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है। संगठन का विस्तार तेज़ी से हो रहा है। बाल कांग्रेस के जरिए नए वोटर्स को साधने के लिए कमलनाथ ने संगठन को विधानसभा स्तर तक ले जाने के निर्देश दिए हैं। 25 अगस्त को विधायक दल की बैठक है। माना जा रहा है कि इस बैठक में 2023 के विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस विधायकों को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।
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हाल के चुनाव परिणामों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगले विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाले हैं। बीजेपी पूरी टीम और ताकत के साथ मैदान में है तो कमलनाथ अकेले बीजेपी से किला लड़ा रहे हैं। इसी बीच मध्यप्रदेश की सियासी धऱती पर राहुल गांधी की भी दिलचस्प एंट्री होने जा रही है। 16 दिनों तक मध्यप्रेदश की 18 विधानसभाओं से राहुल गांधी बीजेपी सरकार के खिलाफ हुंकार भरते दिखेंगे। जो भी हो ये तय है कि 2023 के चुनावों में कांटे की टक्कर ज़रुर देखने को मिलेगी।
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