Chhatarpur Hospital News: इंदौर के बाद छतरपुर अस्पताल में चूहों का आतंक! प्रसूता वार्ड में दहशत, नवजातों की सुरक्षा में माताओं और स्टाफ की उड़ी नींद

Chhatarpur Hospital News: इंदौर के बाद छतरपुर अस्पताल में चूहों का आतंक! प्रसूता वार्ड में दहशत, नवजातों की सुरक्षा में माताओं और स्टाफ की उड़ी नींद

Chhatarpur Hospital News: इंदौर के बाद छतरपुर अस्पताल में चूहों का आतंक! प्रसूता वार्ड में दहशत, नवजातों की सुरक्षा में माताओं और स्टाफ की उड़ी नींद

Chhatarpur Hospital News/Image Source: IBC24

Modified Date: September 8, 2025 / 03:55 pm IST
Published Date: September 8, 2025 3:55 pm IST
HIGHLIGHTS
  • इंदौर के बाद छतरपुर के नवजात बच्चों पर चूहों का आतंक,
  • जिला अस्पताल के प्रसूता वार्ड में चूहों का खानदान,
  • भयभीत परिजन बच्चों को आंचल में समाए बैठे,

छतरपुर: Chhatarpur Hospital News:  इंदौर के सरकारी अस्पताल में चूहों के कुतरने से दो नवजातों की मौत हो गई थी। इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता की परतें खोल दी हैं। समूचे प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है। छतरपुर के जिला अस्पताल में भी चूहों का आतंक बढ़ता जा रहा है लेकिन शुक्र है कि नवजातों को नहीं कुतरा है। यहां भी अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही उजागर हो रही है। चूहों पर नियंत्रण के लिए इंतजाम नहीं किए गए हैं। इसलिए चूहे कम होने के बजाय बढ़ गए हैं। सबसे संवेदनशील प्रसूति वार्ड में चूहों की इस कदर भरमार है कि प्रसूताओं को 24 घंटे नवजात की सुरक्षा करनी पड़ती है।

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Chhatarpur Hospital News:  चूहों की धमाचौकड़ी के कारण प्रसूताओं व उनके परिजन रात में सो भी नहीं पाते हैं उन्हें हरदम खतरा बना रहता है। इंदौर की घटना ने उन्हें और भी चौकस कर दिया है लेकिन प्रबंधन है कि चूहों को नजरअंदाज कर रहा है। अन्य वार्डों में भी चूहों का आतंक बना हुआ है। आतंक इतना है कि खाने के सामान से लेकर कपड़े कुतर रहे चूहे, खाने-पीने का सामान, दवाएं और कपड़े तक कुत्तर रहे हैं। कई बार तो मरीजों को काट भी चुके हैं। अस्पताल परिसर से चूहों का खात्मा करने के लिए पिछले साल जनवरी माह में सतना की कंपनी को कथित रूप से डेढ़ लाख रुपए में ठेका दिया था, इसके बाद भी चूहे खत्म नहीं हो सके हैं। यह मरीजों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही संक्रमण भी फैला रहे हैं। अब तो ठेका भी खत्म हो चुका है।

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Chhatarpur Hospital News:  अस्पताल के बर्न वार्ड, मेडिकल वार्ड, ट्रॉमा वार्ड, बच्चा वार्ड सहित अन्य वार्डों में चूहों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। इनकी धमाचौकड़ी से मरीज व उनके परिजन खासे परेशान हैं। मरीजों को सामान व दवा रखने के लिए दी गई अलमारी में चूहों की भरमार है। इन अलमारियों से अनुमान लगाया जा सकता है कि अस्पताल कितना अस्वच्छ है। 300 बिस्तरों वाले इस अस्पताल के हर बिस्तर पर एक अलमारी है, जिसमें मरीज अपनी दवा और खाने-पीने का सामान रख सकें, लेकिन सामान चूहों की पहुंच से सुरक्षित नहीं रह पाता है। यहां तक कि मरीजों का रहना मुश्किल हो गया है।

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Chhatarpur Hospital News:  प्रसूति वार्ड में चूहों की इस कदर भरमार है कि माताएं अपने बच्चों की सुरक्षा में जुटी रहती हैं। रात में इनकी चहलकदमी इतनी बढ़ जाती है कि पलंगों पर चढ़ जाते हैं। चूहों ने वार्ड को अपना घर बना लिया है। वे बच्चों को भी यहीं जन्म दे रहे हैं। प्रसूति वार्ड में एक माह से भर्ती संध्या पाल बताती हैं कि पूरे वार्ड में चूहों का आतंक है। अलमारी में कुछ सामान भी रखा तो उसे कुतर देते हैं। 6 दिन से भर्ती सोनम श्रीवास कहती हैं कि यहां चूहों की संख्या सैकड़ों में है। जमीन में अटेंडर का लेटना मुश्किल हो जाता है। अपने बच्चों को बचाकर रखना पड़ता है। आठ दिन से भर्ती छाया अनुरागी का कहना है कि अस्पताल में रो-रोकर दिन कट रहे हैं। चूहे तो इलने हैं कि रातभर जागकर बच्चे को बचाना पड़ता है। साथ में गंदगी इतनी है कि बदबू से परेशान रहते हैं।

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Chhatarpur Hospital News:  अस्पताल में ओपीडी में भी चूहों का आतंक है। इमरजेंसी में तो चूहों के कारण डॉक्टरों का काम करना मुश्किल हो गया है। हालात यह हैं कि आए दिन डॉक्टरों की टेबल पर चूहे नजर आ जाते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि हमेशा चूहों की धमाचौकड़ी बनी रहती है। जब अस्पताल में डॉक्टर चूहों से परेशान हैं, तो वार्ड में क्या हालत होगी। डेढ़ साल पहले ठेका देने पर कितने चूहे मारे और कितने भागे, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। प्रबंधन ने डेढ़ साल पहले डेढ़ लाख रुपए में चूहा भगाने और मारने का ठेका दिया था। ठेका कंपनी द्वारा दवा के छिड़काव से कितने चूहे भागे या मर गए, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि अब ठेके की अवधि समाप्त हो चुकी है।


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

टिकेश वर्मा- जमीनी पत्रकारिता का भरोसेमंद चेहरा... टिकेश वर्मा यानी अनुभवी और समर्पित पत्रकार.. जिनके पास मीडिया इंडस्ट्री में 12 वर्षों से अधिक का व्यापक अनुभव हैं। राजनीति, जनसरोकार और आम लोगों से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से सरकार से सवाल पूछता हूं। पेशेवर पत्रकारिता के अलावा फिल्में देखना, क्रिकेट खेलना और किताबें पढ़ना मुझे बेहद पसंद है। सादा जीवन, उच्च विचार के मानकों पर खरा उतरते हुए अब आपकी बात प्राथिकता के साथ रखेंगे.. क्योंकि सवाल आपका है।