बाढ़ की आफत…कितनी राहत… संकट की इस घड़ी में भी सियासी रोटियां सेंकने की कोशिश

बाढ़ की आफत...कितनी राहत...! Flood disaster...how much relief...:? Condition worsens in Madhya Pradesh after heavy rains

Modified Date: November 29, 2022 / 08:32 pm IST
Published Date: August 4, 2021 10:49 pm IST

भोपाल: इस बार की बारिश ने किस कदर मध्यप्रदेश में कोहराम मचाया है। बारिश ने अपने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। खास तौर पर ग्वालियर-चंबल भीषण बाढ़ की चपेट में है। श्योपुर, शिवपुरी,ग्वालियर, दतिया, अशोकनगर बाढ़ से बुरी तरह घिरे हुए हैं। राहत और बचाव के काम में शासन-प्रशासन, NDRF, SDRF के बाद सेना भी उतर आयी है। सैकड़ों गांव पानी से घिरे हुए हैं।

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हालांकि पुल, पुलिया औऱ सड़कों के बहने पर सरकार ने अफसरों की जांच कमेटी जरुर बना दी है, लेकिन ग्वालियर-चंबल में बाढ़ की तबाही ने सियासत को फिर गरमा दिया है। कांग्रेस नेता संकट की इस घड़ी में ग्वालियर चंबल के बीजेपी नेता सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर को खोज रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकार की नीयत पर सवाल भी खड़े करते हुए कहा कि बाढ़ के पानी में अब भी हजारों लोग फंसे हैं। सरकार उन्हें बचाने के साथ ही तुरंत सर्वे करवाकर प्रभावितों को मुआवज़ा दे।

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तमाम सियासी हमलों के बीच मुख्मयंत्री शिवराज सिंह चौहान पूरी ताकत के साथ मैदान में खड़े हैं। मुख्यमंत्री मंगलवार देर रात बाढ़ के हालातों की समीक्षा की। फिर अगले दिन हेलिकॉप्टर से बाढ़ प्रभावित जिलों का दौरा किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दो दफे बात कर चुके हैं।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बातचीत के बाद सेना की मदद ली है, सेना ने भी मोर्चा संभाल लिया है।

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अब तक शिवपुरी, श्योपुर, दतिया, ग्वालियर, गुना, भिंड और मुरैना जिलों में 1225 गांव प्रभावित हैं। अब श्योपुर के 32 गांव में 1500 लोग फंसे हुए थे जिन्हें सुरिक्षत निकाल लिया गया है। शिवपुरी के 90 गांव में 2 हजार लोग फंसे थे इन्हें भी सुरक्षित निकाल लिया गया है। दतिया, ग्वालियर, मुरैना और भिंड जिलों के 240 गांव थे, 5 हजार 950 लोगों को सुरक्षित निकालने में सरकार कामयाब हुई है। हालांकि अब भी फंसे हुए लोगों को निकालने का ऑपरेशन जारी है। सरकार का दावा है कि पहली प्राथमिकता बाढ़ में फंसे हुए लोगों की जान बचाने की है। रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने के बाद सरकार सर्वे करवाने के बाद राहत राशि की तरफ काम करेगी।

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बहरहाल लगातार हो रही बारिश ने सरकार के सुशासन की पोल खोल कर रख दी है। सड़कें टूट रहीं हैं, पुल बह रहे हैं, लोग फंसे हुए हैं, न नेटवर्क है न ही खाने पीने के कोई इंतज़ाम। फंसे हुए लोगों ने उम्मीद छोड़ दी है। संकट की इस घड़ी में बीजेपी-कांग्रेस के बीच सियासी रोटियां भी सेंकने की कोशिश हो रही है। फिर भी हम यही उम्मीद करते हैं कि संकट के इस मौके पर न सिर्फ बीजेपी बल्कि सभी विपक्षी दल एक फ्रंट पर खड़े होकर उन लोगों की मदद करेंगे, जिन्होंने बचने की आस छोड़ दी है।

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