Tansen Music Festival in Gwalior : ग्वालियर सिटी ऑफ म्यूजिक में हुई संगीत महाकुंभ की शुरूआत, 28 दिसंबर तक चलेगा कार्यक्रम

Tansen Music Festival in Gwalior: मंच पर बैठकर देश और दुनियां के ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करेंगे।

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  • Publish Date - December 24, 2023 / 08:33 PM IST,
    Updated On - December 24, 2023 / 08:33 PM IST

Tansen Music Festival in Gwalior : ग्वालियर। मध्यप्रदेश की ग्वालियर सिटी ऑफ म्यूजिक में संगीत का महाकुंभ “तानसेन समारोह की पारंपरिक ढंग से आज सुबह हरिकथा, मिलाद, शहनाई वादन और चादरपोशी के साथ शुरू हो गया है। “तानसेन समारोह अपने आप में एक साम्प्रदायिक सदभाव की मिसाल है। यहां सभी धर्म के सदस्य एक साथ प्रस्तुति देकर कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं। तानसेन समाधि परिसर में ऐतिहासिक मानसिंह तोमर महल की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर होगा। इसी मंच पर बैठकर देश और दुनियां के ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करेंगे।

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Tansen Music Festival in Gwalior : दरअसल, आज रविवार सुबह तानसेन समाधि स्थल पर परंपरागत ढंग से उस्ताद मजीद खाँ एवं साथियों ने रागमय शहनाई वादन किया। इसके बाद ढोलीबुआ महाराज नाथपंथी संत सच्चिदानंद नाथ ने संगीतमय आध्यात्मिक प्रवचन देते हुए ईश्वर और मनुष्य के रिश्तो को उजागर किया। उनके प्रवचन का सार था कि परहित से बढ़कर कोई धर्म नहीं। अल्लाह और ईश्वर, राम और रहीम, कृष्ण और करीम, खुदा और देव सब एक हैं। हर मनुष्य में ईश्वर विद्यमान है। हम सब ईश्वर की सन्तान है तथा ईश्वर के अंश भी हैं।

सभी मतों का एक ही है संदेश है कि सभी नेकी के मार्ग पर चलें। उन्होंने कहा सुर ही धर्म है। जो निर्विकार भाव से गाता है वही भक्त है। ढोली बुआ महाराज ने राग ” बैरागी” में तुलसीदास जी द्वारा रचित भजन प्रस्तुत किया। भजन के बोल थे ” भजन बिन तीनों पन बिगड़े”। उन्होंने प्रिय भजन “रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम” का गायन भी किया। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न रागों में पिरोकर अन्य भजन भी गए। हजरत मौहम्मद गौस व तानसेन की मजार पर राज्य सरकार की ओर से सैयद जियाउल हसन सज्जादा नसीन द्वारा परंपरागत ढंग से चादरपोशी की गई। वही इस शुरुआत के बाद 10 संगीत सभाएं की जाएगी और 28 दिसंबर के अंतिम दिन तानसेन के जन्मस्थली बेहट और गुजरी महल में दो संगीत सभाएं की जाएगी।

 

तानसेन समारोह का इतिहास

तानसेन समारोह की शुरुआत 1924 में उर्स के साथ शुरू हुई थी शहनाई वादन हरि कथा गायन किया गया जिसका आज पारंपरिक रूप से शुरुआत की गई है जिसमें शहनाई वादन हरि कथा ढोलीबुआ महाराज के द्वारा की गई है। इसके बाद चादरपोशी की गई है यही तानसेन समाधि स्थल पर मानसिंह महल की तर्ज पर मंच लगाया गया है जहां शाम को संगीत में कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी इसके साथ ही किले पर तबला वादक के द्वारा तबला बजाकर रिकॉर्ड बनाया जाएगा और तानसेन जन्मस्थली वैट और गुजरी महल में कार्यक्रम अंतिम दिन किया जाएगा।

 

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