पंचायत चुनाव पर सदन गर्म! संशय, सवाल और सियासत! ग्राम सरकार के लिए चुनाव लड़ने वालों को और करना पड़ सकता है इंतजार?

पंचायत चुनाव पर सदन गर्म! संशय, सवाल और सियासत! House heated on Panchayat elections in Madhya Pradesh, Read news

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  • Publish Date - December 21, 2021 / 11:44 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:01 PM IST

भोपालः Panchayat elections in Madhya Pradesh प्रदेश में OBC आरक्षण के मुद्दे पर छिड़ी सियासी बहस के बीच पंचायत चुनाव को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। शीतसत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने स्थगन प्रस्ताव लाकर इस मसले पर सरकार से जवाब मांगा। सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री ने सदन में ये साफ कर दिया का प्रदेश में पंचायत चुनाव OBC आरक्षण के साथ ही होंगे। इसके अलावा उन्होंने विपक्ष के हर सवाल का डटकर जवाब दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की पिछड़ा वर्ग समेत सभी वर्गों को उनका हक मिले इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इधर,विपक्ष के नेता भी इस पर मुद्दे पर कोर्ट में साथ जाकर समाधान कराने की बात कह चुके हैं, लेकिन क्या मौजूदा स्थिति में प्रदेश में जारी पंचायत चुनाव की प्रक्रिया OBCआरक्षण के साथ आगे जारी रह पाएगी। इस पर संशय अब भी बना हुआ है।

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Panchayat elections in Madhya Pradesh मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना होगा या फिर टल जाएंगे। इसे लेकर पशोपेश की स्थिति बनी हुई है। तो दूसरी ओर ओबीसी आरक्षण पर सियासी बयानबाजी थमने का नाम नहीं ले रहा। हालात के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे को कठघरे में खड़ा कर रहा है। मंगलवार को इस मसले पर विधानसभा में भी जमकर बवाल हुआ। कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा भी हुई। पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर बहस के दौरान सीएण शिवराज ने ऐलान किया कि एमपी में पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही होंगे। इसके लिए सरकार कोर्ट जाएगी, जिसमें केंद्र सरकार भी सहयोग करेगी। सीएम ने विपक्ष के आरोपों का सिलसिलेवार जवाब दिया।

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दूसरी ओर कांग्रेस ने सदन में राज्य सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि सरकार कोर्ट के ऑर्डर का बहाना न बनाएं। हम सब साथ कोर्ट चलते हैं, सदन सर्वसम्मति से इसे पास करे कि ये स्वीकार है या नहीं। इससे पहले कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर बोलते हुए पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने आरोप लगाया कि ओबीसी आरक्षण के कारण जो स्थिति बनी है उसके लिए सरकार जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 5 दिन बाद भी पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति है।

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इधर जबलपुर में राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उन्होंने पंचायत चुनाव में रोटेशनल आरक्षण की जरुरत के अलावा कोई जिरह नहीं की थी। तन्खा ने बीजेपी नेता और उनकी ट्रोल आर्मी पर तथ्यों को भुलाकर दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया। बहरहाल पंचायत चुनाव को लेकर चल रही प्रक्रिया जारी रहेगी या नहीं, इस पर सरकार एक-दो दिन में फैसला ले सकती है। क्यों राज्य निर्वाचन आयोग ने OBC के लिए रिजर्व सीटों को छोड़कर अन्य सीटों पर निर्वाचन की प्रक्रिया जारी रखी है। वैसे सदन में मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष एक साथ खड़े नजर आए। गेंद अब सरकार के पाले में है कि वो ओबीसी आरक्षण को लेकर क्या कदम उठाती है। लेकिन फिलहाल हो हालात हैं और सियासी कवायद को देखकर लगता है कि ग्राम सरकार के लिए चुनाव लड़ने वालो को और इंतजार करना पड़ सकता है।