नई दिल्लीः कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ दुनिया की करीब करीब सारी वैक्सीन्स कम असरदार साबित हो रही हैं। ऐसे में पहली बार वैक्सीन्स को लेकर राहत देने वाली खबर मिली है। रिसर्च के दौरान पता चला है कि एस्ट्राजेनेका की कॉकटेल वैक्सीन ओमिक्रॉन वेरिएंट को बेअसर करने में कामयाब हो गई है।
दरअसल, कॉकटेल वैक्सीन दो वैक्सीन को मिलाकर लगाई जाती है। पहले भी एस्ट्राजेनेका और स्पूतनिक लाइट को मिलाकर प्रयोग किए जाने को लेकर छोटे स्तर पर एक क्लिनिकल स्टडी की गई थी। यह डाटा 20 लोगों से जमा किए गए हैं। इन सभी पर फरवरी महीने में स्टडी शुरू किया गया था। इन्हें पहले एस्ट्राजेनेका दी गई, फिर 29 दिनों बाद इन्हें स्पुतनिक लाइट दी गई थी। इसका पेशेंट्स पर अच्छा प्रभाव देखने को मिला था और एंटीबॉडी ग्रोथ भी अच्छी हुई थी।
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एक बार फिर इसपर ट्रायल्स शुरू किए गए हैं। एस्ट्राजेनेका ने रिसर्च के दौरान पाया है कि, कोविड-19 एंटीबॉडी कॉकटेल, इवुशेल्ड के सामने कोरोना वायरस का ओमिक्रॉन वेरिएंट inactive हो गया है। जो कि एक बहुत बड़ी खुशखबरी है। रिसर्च में देखा गया कि, एस्ट्राजेनेका की कॉकटेल वैक्सीन ने ओमिक्रॉन कोरोनवायरस की एक्टिविटी को बेअसर कर दिया। ये मेडिकल फील्ड और डॉक्टरों के लिए बहुत बड़ी उम्मीद है। ये रिसर्च US Food & Drug Administration के independant investigators ने किया था और जांच के बाद कंपनी की तरफ से बयान जारी करते हुए कहा गया है कि, ओमिक्रॉन के खिलाफ एवुशेल्ड के ऊपर और रिसर्च एस्ट्राजेनेका और third parties द्वारा भी जारी है जिसका डेटा “बहुत जल्द” लोगों के साथ शेयर किया जाएगा।
आपको बता दें कि इस वैरिएंट पर हांगकांग यूनिवर्सिटी की एक नई स्टडी आई थी। इस नई स्टडी के रिज़ल्टस के अनुसार ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा और original कोरोना स्ट्रेन के comparision में लगभग 70 गुना तेजी से फैल रहा है, हालांकि, बीमारी की गंभीरता बहुत कम है। इस स्टडी में बताया गया था कि, ओमिक्रॉन वैरिएंट किस तरह से इंसान के respiratory system को affect करता है। हांगकांग university के researchers ने पाया कि ओमिक्रॉन, डेल्टा और सार्स-कोवी-2 की तुलना में 70 गुना तेजी से संक्रमित करता है। इससे ये भी पता चला कि फेफड़े में ओमिक्रॉन से संक्रमण मूल सार्स-कोवी-2 की तुलना में काफी कम है, जिससे इसकी गंभीरता कम रहती है।
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रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों को पता चला है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट वैक्सीन की क्षमता को पूरी तरह से नहीं, बल्कि बहुत हद तक सीमित कर देता है। लेकिन, टीकाकरण के बाद शरीर में जितना मात्रा में एंटीबॉडी रहती है, वो ओमिक्रॉन वेरिएंट के वायरस को खत्म करने के लिए काफी होती है। डब्ल्यूएचओ ने भी कहा था कि, “शुरूआती रिज़ल्टस के हिसाब से ओमिक्रॉन वेरिएंट में मौजूद स्पाइक प्रोटीन काफी बदली हुई है, लिहाज़ा ये वैक्सीन की प्रभाव को कम कर देती है।
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तो क्या इसका मतलब ये है कि हमें अब कॉक्टेल वैक्सीन लगवानी चाहिए? जवाब है नहीं। अभी जो भी रिसर्च हुई है वो बिल्कुल ही शुरूआती हैं। अभी इसपर और जांच होनी बाकी है। जबतक ये जांच पूरी नहीं हो जाती जल्दबाज़ी में ऐसा कोई भी कदम मत उठाइये। आज भारत में ओमिक्रोन के केसेस ने 200 का आंकड़ा 200 को पार कर दिया। इसके साथ ही अब सिर्फ 20 दिनों में देश के 13 राज्यों में ओमिक्रोन ने दस्तक दे दी है। सबसे ज़्यादा 54-54 केस मुंबई और दिल्ली में मिले हैं। वहीं ओड़िसा में भी आज ओमिक्रोन के 2 मामले सामने आए।
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