दमोह (मप्र), 12 अप्रैल (भाषा) कथित फर्जी हृदय रोग विशेषज्ञ नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन कैम के प्रयागराज स्थित फ्लैट से फर्जी दस्तावेज जब्त करने के बाद पुलिस ने उसकी ‘पॉलीग्राफ’ जांच कराने की अनुमति मांगी है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
पुलिस अधीक्षक (एसपी) श्रुत कीर्ति सोमवंशी ने बताया कि यादव ने 2013 में नोएडा में अपने खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अपना नाम बदल लिया था।
मध्यप्रदेश के दमोह में एक मिशनरी अस्पताल में सात मरीजों की मौत की जांच शुरू होने के बाद उसे कथित जालसाजी और अन्य अपराधों के लिए सोमवार को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से गिरफ्तार किया गया।
एसपी ने बताया कि कानपुर में रहने वाले यादव के पिता और भाई ने दमोह पुलिस दल को बताया कि वह 1996 से 1999 तक उनके साथ रहा था लेकिन उसके बाद उसने उनसे कोई संपर्क नहीं रखा।
अधिकारी ने बताया कि कानपुर के एक स्कूल से मिले दस्तावेजों में उसका नाम नरेंद्र यादव है। उन्होंने बताया कि उसने 2013 में नोएडा में उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अपना नाम बदल लिया था।
दमोह पुलिस ने इस मामले का ब्योरा मांगा है और यह पता लगा रही है कि क्या उसके खिलाफ पहले भी कहीं और प्राथमिकी दर्ज हुई हैं।
एसपी ने बताया कि उन्होंने आरोपी के ‘नार्कोएनालिसिस’ या ‘पॉलीग्राफ’ जांच की अनुमति के लिए पुलिस मुख्यालय को भी पत्र लिखा है। पुलिस यादव के इस दावे की भी पुष्टि कर रही है कि उसने ब्रिटेन में पढ़ाई की है।
अधिकारी ने बताया कि प्रयागराज में यादव के फ्लैट की तलाशी के दौरान कई फर्जी दस्तावेज, एक प्रिंटर और विभिन्न संस्थानों की मुहरें जब्त की गईं।
इससे पहले छह अप्रैल को यहां पुलिस ने फर्जी मेडिकल डिग्री रखने के आरोप में यादव के खिलाफ दमोह के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एम के जैन की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की थी।
भाषा सं दिमो सिम्मी
सिम्मी
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