मप्र : ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर सेवानिवृत्त प्रोफेसर से 33 लाख रुपये की ठगी

मप्र : ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर सेवानिवृत्त प्रोफेसर से 33 लाख रुपये की ठगी

मप्र : ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर सेवानिवृत्त प्रोफेसर से 33 लाख रुपये की ठगी
Modified Date: March 4, 2025 / 09:13 pm IST
Published Date: March 4, 2025 9:13 pm IST

इंदौर, चार मार्च (भाषा) मध्यप्रदेश के इंदौर में ‘‘डिजिटल अरेस्ट’’ के नाम पर ठग गिरोह ने एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर को जाल में फंसाया और उसे 33 लाख रुपये का चूना लगा दिया। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर ठगी का नया तरीका है। ऐसे मामलों में ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके धमकाते हैं और उन्हें पूछताछ के नाम पर डिजिटल रूप से बंधक बना लेते हैं।

अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया ने बताया कि ठग गिरोह के एक सदस्य ने शहर के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर को वीडियो कॉल किया और अपना परिचय दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध शाखा के अधिकारी के रूप में दिया।

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उन्होंने बताया कि ठग ने सेवानिवृत्त प्रोफेसर से कहा कि उसका आधार कार्ड ऐसे कई बैंक खातों से जुड़ा पाया गया है, जिनका इस्तेमाल करोड़ों रुपये के धनशोधन में किया गया है।

दंडोतिया ने बताया कि ठग ने वीडियो कॉल पर सेवानिवृत्त प्रोफेसर को ‘‘डिजिटल अरेस्ट’’ किए जाने का झांसा दिया और फर्जी पूछताछ के दौरान उसे धमकाकर अलग-अलग निर्देश देता रहा।

अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त ने बताया कि घबराया बुजुर्ग ठग के निर्देश मानता रहा और उसने अपनी जमा-पूंजी के 33 लाख रुपये उसके बताए अलग-अलग बैंक खातों में भेज दिए।

दंडोतिया के मुताबिक, ‘‘पुलिस ने पीड़ित व्यक्ति की शिकायत पर उसे 26.45 लाख रुपये वापस दिलाए हैं। इस रकम से उसने पुणे में अपना लिवर प्रत्यारोपण कराया है।’’

अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त ने बताया कि सेवानिवृत्त प्रोफेसर से ठगी में इस्तेमाल 49 बैंक खातों से लेन-देन पर रोक लगा दी गई है और उसे बाकी रकम वापस दिलाने की कोशिश की जा रही है।

भाषा

हर्ष पारुल

पारुल


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