Patwari vs Singhar in MP

Face To Face Madhya Pradesh: MP में पटवारी बनाम सिंघार, दिल्ली में होगा फैसला इस बार

कांग्रेस

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Modified Date: February 18, 2025 / 11:21 PM IST
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Published Date: February 18, 2025 11:02 pm IST

भोपाल: MP Politics: मध्य प्रदेश कांग्रेस के दो शीर्ष नेता उमंग सिंघार और जीतू पटवारी में अनबन की बात निकलकर आती रही है। कहते हैं कि दोनों के बीच का मतभेद, मनभेद में बदलने लगी है। नतीजा ये कि दोनों को दिल्ली से बुलावा आया है, तो क्या अब आलाकमान उनके झगड़े का अंतिम फैसला करने जा रही है?

कांग्रेस में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। पहले विधानसभा चुनावों में तगड़ी हार,फिर लोकसभा चुनावों में क्लीन स्वीप और पिछले 5 साल में 5 प्रभारियों की एमपी कांग्रेस से छुट्टी ये बताता है कि कांग्रेस में ऑल इज़ वेल नहीं है। अब कांग्रेस में नए प्रभारी हरीश चौधरी को एमप कांग्रेस की जिम्मेदारी मिली है। हरीश चौधरी के सामने चुनौतियां बड़ी हैं। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के बीच की खटपट को दूर करना। संगठन को जमीन तक ले जाना। छिटके हुए दलित आदिवासियों के परंपरागत वोट बैंक को दोबारा मजबूत करना। नाराज़ घर बैठे कांग्रेस नेताओं को एक्टिव करना और एमपी कांग्रेस में कमलनाथ,दिग्विजय सिंह सरीखे क्षत्रपों की दखलंदाज़ी दूर करना है।

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MP Politics: जाहिर है हरीश चौधरी ने एमपी दौरे के पहले पटवारी और सिंघार को दिल्ली तलब कर अपने तेवर साफ कर दिए हैं। उधर बीजेपी पटवारी औऱ सिंघार के बीच की खटपट पर चुटकी ले रही है।

दरअसल मध्यप्रदेश कांग्रेस में जीतू पटवारी और उमंग सिंघार की अदावत सबके सामने खुलकर आ चुकी है। हालात ये हैं कि दोनों के बीच की खटपट की पूरी रिपोर्ट आलाकमान तक जा चुकी है। पटवारी के उस बयान पर भी आलाकमान ने नाराज़गी जाहिर की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस में गुटबाजी का कैंसर है। खबर मिली है कि हरीश चौधरी एमपी दौरे के पहले कांग्रेस के भीतर की गुटबाजी को लेकर जीतू पटवारी और उमंग सिंघार को आमने सामने बिठाकर बातचीत करने वाले हैं। हालांकि नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ये कह रहे हैं कि एमपी में 20 फरवरी को होने वाली पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की बैठक के एजेंडे तय करने को लेकर हरीश चौधरी ने दोनों को दिल्ली तलब किया है।

MP Politics: कांग्रेस बुरे दौर से गुजर रही है। हर चुनाव में पार्टी की हार ये बता रही है कि कांग्रेस को नए सिरे से खड़ा होना होगा, लेकिन इसके लिए कांग्रेस को मैदानी जमवाट करनी होगी। गांव,गरीब तक दोबारा अपना कैडर मजबूत करना होगा। क्योंकि कांग्रेस का मुकाबला दुनिया के सबसे ताकतवर राजनैतिक संगठन से है।