लाश को नसीब नहीं हुआ श्मशान, बीच सड़क पर जलाई चिता, ग्रामीणों ने लगाए कई गंभीर आरोप
The funeral took place in the middle of the road: लाश को नसीब नहीं हुआ श्मशान, बीच सड़क पर जलाई चिता, ग्रामीणों ने लगाए कई गंभीर आरोप
The funeral took place in the middle of the road
The funeral took place in the middle of the road: भिंड। भिंड के अजनौल गांव से मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीरें सामने आई हैं यहां एक बुजुर्ग महिला के मरने के बाद उसे अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम तक नसीब नही हुआ, जिसके चलते परिजनों को बीच सड़क पर उसका अंतिम संस्कार करना पड़ा, बताया जा रहा है कि आज तक गांव में मृतकों को जलाने के लिए शांतिधाम ही नहीं बनाया गया है। दरअसल शनिवार को भी अजनौल गांव के निवासी हरभजन सिंह की मां बिटोली बाई का निधन हो गया, मृतक के अंतिम संस्कार की बारी आई तो शांतिधाम तो है ही नहीं और खेतों में बारिश की वजह से पानी भर जाने से वहां भी अंतिम क्रिया नहीं की जा सकी।
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मजबूरी के चलते सड़क पर किया अंतिम संस्कार
The funeral took place in the middle of the road: ऐसे में ग़ुस्साए और परेशान ग्रामीणों ने अजनौल के आम रास्ते पर सड़क पर ही अंतिम संस्कार कर दिया। अब ग्रामीणों की एक बार फिर माँग है कि, कोई उनकी सुनवाई कर ले और गांव में एक मुक्तिधाम बनवा दे। हरभजन सिंह को अपनी वृद्ध मां की मौत का इतना दुख नहीं है जितना दुख गांव में मुक्तिधाम ना होने के चलते उनका अंतिम संस्कार भी रीति रिवाज से न हो कर बीच सड़क पर करना पड़ा।
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मुलभूत सुविधाओं से वंचित है ग्रामीण
The funeral took place in the middle of the road: मध्यप्रदेश सरकार ग्रामीण इलाक़ों को विकसित कराने के लिए हर साल करोड़ों रुपय पानी की तरह बहा रही है। मनरेगा जैसी योजनाएं गांव के विकास और ग्रामीणों की सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम करती है, लेकिन भिंड के मेहगांव विधानसभा क्षेत्र का ग्राम अजनौल आज भी मूलभूत ज़रूरतों के लिए जद्दोजहद कर रहा है। गांव में वर्षों से शांतिधाम की दरकार है, लेकिन किसी ज़िम्मेदार ने आज तक मुक्तिधाम बनवाने का प्रयास तक नही किया है। लिहाजा स्थानीय लोग मृतकों का अंतिम संस्कार अपने खेतों पर करते हैं। बरसात में जब खेतों तक जाने के लिए रास्ता नहीं होता है तो अंतिम संस्कार के लिए इसी तरह की तस्वीरें सामने आती है।
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सीईओ ने संज्ञान में लिया मामला
The funeral took place in the middle of the road: ग्रामीणों ने बताया कि कई बार इस संबंध में गांव के सरपंच, जनपद में मौजूद अधिकारियों से गुहार लगाई है, लेकिन किसी से सुनवाई नहीं होती है, जब किसी का कोई परिजन स्वर्ग सिधार जाता है तो उसका अंतिम संस्कार अपने आपने खेतों पर कर लेते हैं। बारिश के मौसम में तो परिस्थितियां ऐसा भी नहीं करने देती। आज भी कई लोग गांव में ऐसे हैं जो भूमिहीन हैं वे बेचारे क्या करें। मामला तूल पकड़ने के बाद सीईओ जिला पंचायत ने भी स्वीकारा है कि गांव में मुक्तिधाम नहीं है। लोग नदी के किनारे अंतिम संस्कार करते है लेकिन पानी अधिक होने के कारण उन्हें सड़क पर अंतिम संस्कार करने को मजबूर होना पड़ा। अब हर गांव से जानकारी लेकर मुक्तिधाम बनाने का काम जल्द किया जाएगा।

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