जबलपुर, सात सितंबर (भाषा) मध्यप्रदेश में एक सरकारी पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय में बाघिनों में गर्भावस्था का जल्द पता लगाने के लिए एक किट बनाने के लिए शोध किया जा रहा है।
इसके बनने से बाघिन के पोषण और व्यवहार प्रबंधन को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति एसपी तिवारी ने बताया कि यह परियोजना मध्यप्रदेश टाइगर फाउंडेशन सोसायटी द्वारा विश्वविद्यालय को सौंपी गई है। यह सोसायटी प्रदेश के वन विभाग के अधीन काम करती है।
उन्होंने कहा कि पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा विशेष रुप से बाघिन में गर्भावस्था का पता करने के लिए बाघिन गर्भावस्था परीक्षण किट बनाने के लिए शोध किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय के फिजियोलॉजी और जैव रसायन विभाग के प्रभारी और परियोजना के प्रमुख जांचकर्ता आदित्य मिश्रा ने बताया, ‘‘ उपलब्ध पशु गर्भावस्था परीक्षण किट का इस्तेमाल आमतौर पर सभी प्रजातियों के जानवरों के लिए नहीं किया जा सकता है। इसलिए बाघिनों के लिए एक अलग किट की आवश्यकता होती है। एक बाघिन की गर्भधारण अवधि 99-106 दिन होती है, इसलिए यदि गर्भावस्था का पता 26 दिनों की अंदर जल्दी हो जाता है तो पोषण और व्यवहार प्रबंधन का उचित ध्यान रखना संभव है।’’
उन्होंने कहा कि रीवा और भोपाल में क्रमश: मुकुंदपुर और वन विहार चिड़ियाघर को परियोजना के लिए चुना गया है क्योंकि जंगल में मूत्र और लीद के नमूने एकत्र करना संभव नहीं है।
भाषा सं दिमो राजकुमार
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