MP Election Result: एमपी में कांग्रेस की ‘बड़ी हार’ के पीछे क्या ये है वजहें? जानें क्यों पिछड़े कमलनाथ और क्यों लौटा फिर ‘शिव-राज’?

MP Election Result: एमपी में कांग्रेस की ‘बड़ी हार’ के पीछे क्या ये है वजहें? जानें क्यों पिछड़े कमलनाथ और क्यों लौटा फिर ‘शिव-राज’?

mp mein har ke karan

Modified Date: December 4, 2023 / 05:10 pm IST
Published Date: December 4, 2023 5:10 pm IST

भोपाल: मध्यप्रदेश समेत चार राज्यों के चुनावी नतीजे साफ़ हो चुके है। एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को करारा झटका लगा है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जहां उनकी सर्कार थी तो वही एमपी वह इस बार शिवराज की सरकार को हटाने का दम्भ भर रहे थे लेकिन ऐसा हो न सका। उलटे पिछली बार के मुकाबले शिवराज सिंह की अगुवाई में भाजपा ने 50 से ज्यादा सीटें जीतकर सत्ता में वापिस की।

नतीजों के बाद पार्टी अब अपनी हार की समीक्षा में जुटी हुई है, वजहें तलाशी जा रही है कि आखिर किन वजहों से जनता ने उन्हें विपक्ष में रहते हुए भी नकार दिया? आखिर सरकार विरोधी लहर के बावजूद हर बार के मुकाबले उनका नुकसान दोगुना किए हो गया? आइये एक नजर डालते है कांग्रेस के पिछड़ने की बड़ी वजहों पर

कांग्रेस के हार की वजहें

1.कांग्रेस की गुटबाजी – हर बार की तरह इस बार भी अंदरुनी गुटबाजी कांग्रेस की हार की वजह बनी,ये गुटबाजी सबसे ज्यादा टिकिट वितरण के वक्त नजर आई जब कई दिनो तक इस पर दिल्ली में मंथन होता रहा,हालात ये बने कि कुछ जूनियर नेताओं को भी वर्चुअली जोड़कर उनकी राय मांगी गई जो बड़े नेताओं को पसंद नहीं आया। इसके बाद टिकिट वितरण हुआ था भी तो कुछ टिकिट बिकने के भी आरोप लगे। गुटबाजी के कारण पार्टी के प्रचार पर भी असर पड़ा। प्रचार में भी बड़े नेता सिर्फ अपने समर्थकों के प्रचार में ही पहुंचे,कुछ जगह से भितरघात की भी खबरें है।

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2.नेताओं की छवि – इन चुनावों में कमलनाथ सरकार के 10 मंत्री चुनाव हार गए। इनमें से कई का शुमार दिग्गज नेता के तौर पर होता है। अपने 15 महीने के दौरान कई नेताओं का क्षेत्र की जनता प्रति व्यवहार इस बार नाराजगी के वोट के तौर पर सामने आया। इनमें से कई नेता अपनी जीत को लेकर इतने अति आत्मविश्वास में आ गए कि खुद के क्षेत्र में ज्यादा समय देने के बजाय दूसरे उम्मीदवारों के यहां प्रचार करने लगे नतीजा ये रहा कि उन्हें पता ही नहीं चला कि उनके क्षेत्र में उनकी जमीन खिसक चुकी है ।

3.बागियों की नाराजगी – कांग्रेस की हार में बागियों का अहम रोल रहा , पार्टी के बड़े नेता अपने नाराज नेताओं को मनाने में नाकाम रहे। कांग्रेस के करीब 22 बागी चुनाव लड़े इनमें से 19 पर बीजेपी को जीत हासिल हुई। हालात तो ये बने सुमावली आलोट,धरमपुरी,महू में कांग्रेस बागियों के कारण तीसरे नंबर पर पहुंच गई। यदि कांग्रेस अपने 22 बागियों में से कुछ को मना लेती तो परिणाम शायद कुछ और होते

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बीजेपी के जीत के कारण

1.मोदी मैजिक – बीजेपी की जीत का सबसे बड़ा कारण यहीं साबित हुआ क्योंकि मोदी ने जिस तरीके से पूरे चुनाव को मोदी वर्सेज ऑल में तब्दील किया उसने कांग्रेस ही नहीं छोटे दलों को भी बैकफुट पर धकेल दिया। मोदी ग्यारंटी का फैक्टर तो चला ही लेकिन केंद्र सरकार की उपलब्धियों को भी मोदी ने जमकर भुनाया। मोदी कितने भरोसेमंद ब्रांड बन चुके हैं इसकी एक मिसाल देखिए इंदौर में जहां मोदी ने 10 किलोमीटर का रोड किया वहां की सभी 9 सीटें बीजेपी के खाते में गई

2.महिला केंद्रित योजनाएं (लाड़ली बहना योजना) – मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ये योजना गेमचेंजर साबित हुई । ये सही है कि कोई भी एक योजना ऐसी बंपर जीत नही दिया सकती लेकिन इस योजना ने आधी आबादी को बीजेपी के पक्ष में खड़ा कर दिया। नतीजों के आंकड़े बताते हैं कि जहां जहां महिलाओं की वोटिंग ज्यादा हुई वहां की ज्यादातर सीटें बीजेपी ने जीती। इसके अलावा शिवराज सिंह चौहान का मामा और भैय्या दोनों ही वर्जन महिलाओं को काफी पसंद आए

3.शाह की रणनीति – अमित शाह ने रणनीति तैयार करने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई, पहले पूरा फीडबैक लिया और सही टाइमिंग पर योजना को जमीन पर उतारा, जबकि कांग्रेस चुनाव के 6 महीने पहले अपने टॉप पर पहुंच चुकी थी। शाह ने 3 महीने पहले प्रचार शुरु किया और आखिरी एक महीने में पूरी ताकत झोंक दी,कई केंद्रीय मंत्री,मुख्यमंत्री से लेकर पार्टी के हर बड़े नेताओं की सक्रियता के कारण धीरे धीरे कांग्रेस के हौंसले कमजोर पड़ने लगे और उसका नतीजा परिणाम के तौर पर देखने को मिला

4.सत्ता-संगठन समन्वय – बीजेपी की जीत का अहम कारण रहा सत्ता और संगठन के बीच समन्वय, संगठन की तरफ से वी डी शर्मा ने मोर्चा संभाला तो केंद्रीय नेतृत्व से संतुलन की जिम्मेदारी भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव ने। जो गुटबाजी कांग्रेस की हार की वजह बनी उसे इसी तिकड़ी ने बीजेपी में कंट्रोल किया। इसके अलावा बूथ मैनेजमेंट से लेकर प्रचार तक हर काम पर इस टीम की पैनी निगाह थी। किसी भी गलती का कैसे डैमेज कंट्रोल किया जाए इसके लिए भी पूरी टीम लगी रहती थी, सोशल मीडिया की टीम को अश्विन वैष्णव ने संभाला तो कार्यकर्ताओं को भूपेंद्र यादव और वी डी शर्मा ने

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लेखक के बारे में

A journey of 10 years of extraordinary journalism.. a struggling experience, opportunity to work with big names like Dainik Bhaskar and Navbharat, priority given to public concerns, currently with IBC24 Raipur for three years, future journey unknown