न्यायालय ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रूपरेखा को लगातार आकार दिया है : पूर्व सीजेआई
न्यायालय ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रूपरेखा को लगातार आकार दिया है : पूर्व सीजेआई
मुंबई, पांच दिसंबर (भाषा) भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई ने शुक्रवार को यहां कहा कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले 75 वर्षों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रूपरेखा को लगातार आकार दिया है।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संबंधी विधि सिद्धांत का विकास एक व्यापक संवैधानिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अभिव्यक्ति को सीमित करने की राज्य की शक्ति नागरिकों के सोचने, बोलने और लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्वतंत्र रूप से भाग लेने के अधिकार पर हावी ना हो।’
वह न्यायमूर्ति के टी देसाई स्मृति व्याख्यान 2025 में ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: संविधान के अंतर्गत इसका दायरा और सीमाएं’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे।
स्वतंत्रता के बाद से उच्चतम न्यायालय के कई ऐतिहासिक निर्णयों का हवाला देते हुए, पूर्व प्रधान न्यायाधीश गवई ने वर्षों में कानून के विकास और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा में न्यायपालिका द्वारा निभायी गई भूमिका का उल्लेख किया।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि हाल के दिनों में, उच्चतम न्यायालय से डिजिटल संचार की जटिलताओं, इसकी अभूतपूर्व पहुंच, इसके दुरुपयोग की आशंका और सार्वजनिक संवाद को आकार देने में इसकी मौलिक भूमिका को समझने का आह्वान किया गया।
पूर्व प्रधान न्यायाधीश गवई ने कहा, ‘‘ऑनलाइन दुनिया द्वारा प्रस्तुत अनूठी चुनौतियों का सामना करने के लिए पारंपरिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांतों को पुनर्संयोजित किया जाना चाहिए।’
भाषा अमित दिलीप
दिलीप

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