कभी-कभी आलोचना दुख पहुंचाती है, लेकिन वास्तविक प्रतिक्रिया को कभी नजरअंदाज न करें: अक्षय कुमार |

कभी-कभी आलोचना दुख पहुंचाती है, लेकिन वास्तविक प्रतिक्रिया को कभी नजरअंदाज न करें: अक्षय कुमार

कभी-कभी आलोचना दुख पहुंचाती है, लेकिन वास्तविक प्रतिक्रिया को कभी नजरअंदाज न करें: अक्षय कुमार

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Modified Date: April 26, 2025 / 08:06 PM IST
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Published Date: April 26, 2025 8:06 pm IST

मुंबई, 26 अप्रैल (भाषा)बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार का कहना है कि वह हमेशा दर्शकों की सच्ची आलोचना और प्रतिक्रिया के लिए तैयार रहते हैं, भले ही यह कभी-कभी दुख पहुंचाए।

अक्षय ने जी म्यूजिक इंडिया यूट्यूब चैनल पर शुक्रवार शाम को पोस्ट किए गए एक संवाद में कहा कि दर्शक सर्वोच्च हैं क्योंकि वे फिल्म टिकट के लिए भुगतान करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जब वे ताली बजाते हैं, तो ये हमें प्रेरित करती हैं, और जब वे आलोचना करते हैं, तो मैं इससे सीखता भी हूं। मैं हमेशा अपने काम के साथ आगे बढ़ना चाहता हूं। अगर मुझे सच्ची प्रतिक्रिया मिलती है, तो मैं इसे कभी नजरअंदाज नहीं करता, चाहे वह स्क्रिप्ट के चुनाव को लेकर हो या भूमिका के चयन को लेकर…।’’

अभिनेता ने कहा, ‘‘लेकिन कभी-कभी आलोचना दुख पहुंचाती है, हालांकि अगर यह (आलोचना) दिल से की जाती है, तो यह आपको बेहतर बनाती है।’’

अक्षय ने कहा कि लोग अक्सर शिकायत करते हैं कि वह पर्दे पर एक ही तरह का काम करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा कई बार हुआ है, जब लोगों ने कहा है, ‘अक्षय, कुछ अलग करो।’ इसलिए, मैंने भी अलग-अलग फिल्में करने की कोशिश की, जैसे मैंने ‘एयरलिफ्ट’, ‘टॉयलेट: एक प्रेम कथा’, ‘केसरी 1’ और अन्य फिल्में कीं।’’

अभिनेता फिलहाल ‘केसरी 2’ में काम कर रहे हैं, जिसमें वह केरल में जन्मे वकील सी. शंकरन नायर की भूमिका निभा रहे हैं, जिन्होंने अमृतसर में 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड को लेकर ब्रिटिश साम्राज्य से लोहा लिया था।

कुमार ने कहा कि उनका सबसे बड़ा डर यह है कि लोग उनमें और उनके काम में रुचि खो देंगे।

उन्होंने कहा, ”हेलीकॉप्टर से गिरने के अलावा, मेरा सबसे बड़ा डर यह है कि जब मैं एक दिन उठूंगा और कोई संदेश नहीं होगा, तो मुझे लगेगा कि मेरी बारी खत्म हो गई है, अब मेरी जरूरत नहीं है। यही कारण है कि मैं रुकना नहीं चाहता, मैं काम करते रहना चाहता हूं।”

अभिनेता ने कहा, ”यह छोटी सी जिंदगी है और मैं आराम कर अपनी जिंदगी को छोटा नहीं करना चाहता। मैं इसे बड़ा बनाना चाहता हूं। मैं जब तक जिंदा हूं काम करता रहूंगा। सरल शब्दों, मैं तब तक काम करता रहूंगा, जब तक वे मुझे गोली नहीं मार देते। ”

भाषा धीरज पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)