कोविड महामारी को विशेष परिस्थिति मानकर वार्डों के परिसीमन में छूट दी जा सकती है : उच्च न्यायालय

कोविड महामारी को विशेष परिस्थिति मानकर वार्डों के परिसीमन में छूट दी जा सकती है : उच्च न्यायालय

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  • Publish Date - February 14, 2022 / 07:07 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:17 PM IST

मुंबई, 14 फरवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 महामारी को एक विशेष परिस्थिति मानकर निकाय वार्डों के परिसीमन को लेकर अधिसूचना जारी करने के लिए छह महीने की अनिवार्य अवधि में रियायत दी जा सकती है।

न्यायमूर्ति अमजद सैयद और न्यायमूर्ति अभय आहूजा की खंडपीठ ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के आयुक्त आईएस चहल द्वारा एक फरवरी को जारी उस अधिसूचना को चुनौती वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से यह टिप्पणी की, जिसमें आगामी नगर निकाय चुनाव के लिए 236 चुनावी वार्डों के परिसीमन या परिवर्तन का प्रस्ताव दिया गया था।

अधिसूचना में संबंधित प्रस्ताव पर सुझाव और आपत्तियां भी मांगी गई थीं।

महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में निकाय वार्डों की संख्या 227 से बढ़ाकर 236 करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

भाजपा के नितेश राजहंस सिंह और मनसे के सागर कांतिलाल देवरे द्वारा दायर जनहित याचिका में अधिसूचना की ‘वैधता और औचित्य’ को चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ताओं के वकील विवेक शुक्ला ने तर्क दिया है कि नगरसेवकों का कार्यकाल फरवरी-मार्च में समाप्त हो रहा है और अधिसूचना इसी साल एक फरवरी को जारी की गई थी।

उन्होंने कहा, ‘कार्यकाल समाप्त होने के छह महीने के भीतर परिसीमन नोटिस जारी नहीं किया जा सकता है। इसे उससे पहले जारी करना होता है।’

खंडपीठ ने हालांकि कहा कि कोविड-19 महामारी को विशेष परिस्थिति के रूप में देखा जा सकता है।

न्यायमूर्ति सैयद ने कहा, ‘महामारी थी। कुछ रियायतें तो देनी होंगी।’

खंडपीठ ने मामले की सुनवाई मंगलवार तक स्थगित कर दी। साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता को अगली सुनवाई पर उच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित रहने का निर्देश दिया।

बीएमसी ने वार्डों के नक्शे के साथ अधिसूचना प्रकाशित करते हुए 14 फरवरी तक जनता से सुझाव और आपत्तियां मांगी थीं।

बीएमसी के वकील अनिल सखारे ने सोमवार को अदालत को बताया कि नगर निकाय को मिली आपत्तियों और सुझावों पर सुनवाई के लिए राज्य सरकार के एक अतिरिक्त सचिव की तैनाती की गई है।

सखारे ने कहा, ‘अधिकारी 22 फरवरी को सुनवाई करेंगे और एक मार्च को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।’

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा बीएमसी आयुक्त को इस तरह की अधिसूचना जारी करने का अधिकार नहीं दिए जाने के बावजूद उन्होंने ऐसा किया, जो पूरी तरह से मनमाना कदम था।

भाषा पारुल उमा

उमा