सांगली सीट शिवसेना (यूबीटी) को देने पर कांग्रेस से नाराज पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रतीक पाटिल

सांगली सीट शिवसेना (यूबीटी) को देने पर कांग्रेस से नाराज पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रतीक पाटिल

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  • Publish Date - April 17, 2024 / 05:24 PM IST,
    Updated On - April 17, 2024 / 05:24 PM IST

सांगली (महाराष्ट्र), 17 अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वसंतदादा पाटिल के पोते और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रतीक पाटिल ने एक समय अपने परिवार का गढ़ रही सांगली लोकसभा सीट शिवसेना (यूबीटी) को देने को लेकर कांग्रेस के प्रति नाराजगी जताई है।

मनमोहन सिंह सरकार में राज्यमंत्री रहे प्रतीक पाटिल ने मंगलवार को यहां ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि उन्होंने वसंतदादा पाटिल परिवार को “कमजोर” करने के लिए उस समय अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को सांगली सीट दिए जाने के बाद कांग्रेस छोड़ दी थी।

गौरतलब है कि कांग्रेस के दो दिग्गज नेता वसंतदादा पाटिल और राजरामबापू पाटिल सांगली में प्रतिद्वंद्वी रहे थे। राकांपा (शरदचंद्र पवार) की राज्य इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल राजरामबापू के बेटे हैं।

उन्होंने कहा, “वसंतदादा पाटिल भले जीविन न हों, लेकिन महाराष्ट्र कांग्रेस में उनका धड़ा अब भी अस्तित्व में है चाहे वह निष्क्रिय क्यों न हो।”

विपक्षी दलों के गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) में शामिल कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिम महाराष्ट्र की सांगली सीट पर दावा किया था, लेकिन गठबंधन के तीन दलों के बीच सीट-बंटवारे को लेकर बनी सहमति के तहत यह सीट शिवसेना (यूबीटी) के खाते में चली गई।

सांगली लोकसभा सीट से टिकट मिलने की उम्मीद कर रहे प्रतीक पाटिल के छोटे भाई तथा कांग्रेस नेता विशाल पाटिल ने सोमवार को इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल किए।

कांग्रेस उन्हें उम्मीदवारी वापस लेने के लिए मना रही है।

शिवसेना (यूबीटी) ने सांगली सीट से पहलवान-नेता चंद्रहर पाटिल को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर महाराष्ट्र की 10 अन्य लोकसभा सीटों के साथ तीसरे चरण में सात मई को मतदान होगा।

सांगली लोकसभा सीट 1980 से 2014 तक वसंतदादा पाटिल के परिवार के पास रही।

साल 2019 में जब कांग्रेस ने प्रतीक पाटिल से चुनाव लड़ने को कहा तो उन्होंने पार्टी से कहा था कि वह चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन पैसे नहीं हैं। इसके बाद कांग्रेस ने यह सीट किसान नेता राजू शेट्टी के स्वाभिमानी पक्ष को दे दी थी।

उस समय प्रतीक चाहते थे कि उनके भाई विशाल सांगली से चुनाव लड़ें, जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें स्वाभिमानी पक्ष के टिकट पर चुनाव लड़ने की अनुमति दी थी। प्रतीक पाटिल ने कहा, “पिछले 10 वर्षों में, मेरे छोटे भाई विशाल ने अधिकतम स्थानीय निकाय सीटों पर जीत सुनिश्चित करके सांगली जिले पर कांग्रेस का नियंत्रण स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत की। कांग्रेस ने उन्हें सांगली से लोकसभा चुनाव के लिए टिकट देने का आश्वासन भी दिया था और उनके समर्थक उनकी जीत के लिए काम कर रहे थे। लेकिन, कांग्रेस ने (इस बार) शिवसेना (यूबीटी) को सीट देने की अनुमति दे दी।”

प्रतीक पाटिल ने कहा, ‘यह निर्णय लेने में कांग्रेस कहां थी? कांग्रेस नेतृत्व ने सांगली को शिवसेना (यूबीटी) को देने के बारे में हमसे चर्चा नहीं की। यदि शिवसेना (यूबीटी) सांगली चाहती थी, तो उद्धव ठाकरे ने पहलवान चंद्रहर पाटिल के बजाय विशाल को उम्मीदवार क्यों नहीं बनाया। 2019 में भी, विशाल ने स्वाभिमानी पक्ष के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था।”

उन्होंने दावा किया कि बाल ठाकरे और वसंतदादा पाटिल के बीच एक गुप्त सहमति हुआ करती थी कि शिवसेना (तब अविभाजित) सांगली में उनके परिवार के खिलाफ कभी चुनाव नहीं लड़ेगी।

भाषा जोहेब माधव

माधव