भारत को अग्रणी ताकत में तब्दील होने के लिए 'मजबूत राष्ट्रीय शक्ति' का निर्माण करना होगा: जयशंकर |

भारत को अग्रणी ताकत में तब्दील होने के लिए ‘मजबूत राष्ट्रीय शक्ति’ का निर्माण करना होगा: जयशंकर

भारत को अग्रणी ताकत में तब्दील होने के लिए 'मजबूत राष्ट्रीय शक्ति' का निर्माण करना होगा: जयशंकर

:   Modified Date:  February 29, 2024 / 11:41 PM IST, Published Date : February 29, 2024/11:41 pm IST

पुणे, 29 फरवरी (भाषा) विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत को अगले 25 साल तक ‘गहन रूप से मजबूत राष्ट्रीय ताकत’ का निर्माण करना होगा ताकि वह विकसित अर्थव्यवस्था और अग्रणी महाशक्ति के रूप में खुद को तब्दील हो सके।

सीमित आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता, प्रौद्योगिकी की चुनौतियों और ‘‘बाजार में प्रभुत्व को हथियार के रूप में इस्तेमाल’’ करने के खतरों को चिह्नित करते हुए उन्होंने कहा कि देश के लक्ष्य और महत्वाकांक्षाएं ‘‘दूसरों की सद्भावना’’ से निर्धारित नहीं की जा सकती हैं।

विदेश मंत्रालय और पुणे अंतरराष्ट्रीय केंद्र द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक भू-अर्थशास्त्र सम्मेलन, पांचवें एशिया आर्थिक संवाद के उद्घाटन सत्र के दौरान विदेश मंत्री का रिकॉर्ड किया गया वीडियो संदेश प्रसारित किया गया। इस वर्ष सम्मेलन का विषय ‘प्रवाह के युग में भू-आर्थिक चुनौतियां’ है।

जयशंकर ने कहा कि मौजूदा भू-आर्थिक चुनौतियों की तीन श्रेणी हैं जिनमें आपूर्ति शृंखला चुनौती, प्रौद्योगिकी चुनौती, और ‘‘वैश्वीकरण की प्रकृति से उत्पन्न अति-संकेंद्रण’ की चुनौती। उन्होंने कहा, चाहे वह तैयार उत्पाद हों, मध्यवर्ती उत्पाद हों या घटक हों, दुनिया सीमित संख्या में आपूर्तिकर्ताओं पर खतरनाक स्तर तक निर्भर है।

उन्होंने कहा, ‘‘आयातकों के रूप में भी, उत्पादन केंद्रों ने अपनी स्वयं की स्रोत शृंखलाएं तैयार की हैं। अधिक लचीलापन और विश्वसनीयता कैसे पैदा की जाए जो वैश्विक अर्थव्यवस्था को जोखिम मुक्त करने के लिए महत्वपूर्ण है। हम सभी को अधिक विकल्पों की आवश्यकता है और उन्हें बनाने के लिए काम करना चाहिए।’’

विदेश मंत्री ने कहा कि दैनिक जीवन के अधिक से अधिक पहलुओं के लिए प्रौद्योगिकी पर हमारी निर्भरता के मद्देनजर इससे उत्पन्न चुनौतियां भी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

उन्होंने कहा कि भारत के लिए इसका अभिप्राय व्यापक मोर्चे वाले क्षेत्रों में आगे बढ़ना है जो व्यापक राष्ट्रीय शक्ति में योगदान देता है। इसके लिए हमारे कौशल आधार के बड़े पैमाने पर उन्नयन की आवश्यकता है जो एक ऐसे वातावरण का सुझाव देता है जो स्टार्टअप और प्रतिभा को बढ़ावा देता है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसे व्यापार सुगमता और आधुनिक बुनियादी ढांचे से लाभ होगा, लेकिन सबसे अधिक इसके लिए मजबूत विनिर्माण की आवश्यकता है जो अकेले प्रौद्योगिकी विकास के लिए आधार प्रदान कर सकता है।’’

जयशंकर ने कहा, ‘‘सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में जो जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी, हमारे लक्ष्य और महत्वाकांक्षाएं दूसरों की सद्भावना से निर्धारित नहीं हो सकतीं। हमें अमृत काल के दौरान मजबूत राष्ट्रीय ताकत का निर्माण करना होगा जो एक विकसित अर्थव्यवस्था और अग्रणी शक्ति बनने की दिशा में स्वयं को तब्दील करने में मदद करेगी। यह (नरेन्द्र) मोदी सरकार का दृष्टिकोण है और पिछले दशक की हमारी पहल और कार्यक्रमों का उद्देश्य भी यही है।’’

भाषा धीरज वैभव

वैभव

 

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