महाराष्ट्र : अदालत ने 25 साल पुराने हत्या के मामले में सबूतों के अभाव में व्यक्ति को बरी किया

महाराष्ट्र : अदालत ने 25 साल पुराने हत्या के मामले में सबूतों के अभाव में व्यक्ति को बरी किया

महाराष्ट्र : अदालत ने 25 साल पुराने हत्या के मामले में सबूतों के अभाव में व्यक्ति को बरी किया
Modified Date: July 25, 2025 / 01:37 pm IST
Published Date: July 25, 2025 1:37 pm IST

ठाणे, 25 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने 46 वर्षीय एक व्यक्ति को सबूतों के अभाव और गवाहों की अविश्वसनीय गवाही का हवाला देते हुए बरी कर दिया, जिस पर 25 साल पहले एक महिला की हत्या करने का आरोप था।

सत्र न्यायाधीश एस बी अग्रवाल ने शंभूभाई मनुभाई रावल को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 452 (घर में जबरन प्रवेश) और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत आरोपों से बरी कर दिया।

तेईस जुलाई के आदेश की एक प्रति बृहस्पतिवार को उपलब्ध करायी गई।

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सत्र अदालत ने इससे पहले पीड़िता कुंदा रावल के पति कुंदन रावल को हत्या के आरोप से बरी कर दिया था। वर्ष 2020 में, रावल के सहयोगी शंभूभाई को गिरफ्तार किया गया था और नये सिरे से मुकदमा शुरू किया गया था।

अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि कुंदन रावल ने अपनी पत्नी की हत्या की साजिश शंभूभाई और तीसरे आरोपी सुरेश नवी (फरार) के साथ मिलकर रची थी।

अभियोजन पक्ष के अनुसार कुंदन रावल ने पुलिस को बताया था कि घटना वाले दिन, 17 फरवरी, 2000 को अपराह्न लगभग 1.30 बजे घर लौटने पर, उसके बच्चों ने बताया कि उनकी मां गायब है और बाद में वह बाथरूम के पास बेहोशी की हालत में मिली थी।

अभियोजन पक्ष के अनुसार पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दम घुटने से मौत का खुलासा हुआ, साथ ही उसकी गर्दन पर खरोंच और जबड़े व बांह पर चोट के निशान मिले थे, जिससे किसी गड़बड़ी का संकेत मिलता है।

न्यायाधीश अग्रवाल ने कहा कि आरोपी को अपराध से जोड़ने वाले प्रत्यक्ष साक्ष्य का अभाव है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अभियोजन पक्ष के दो प्रमुख गवाह – मृतक महिला के रिश्तेदार राकेश रावल और सतीशकुमार रावल – प्रत्यक्षदर्शी नहीं थे और उन्होंने केवल सुनी-सुनाई बातों पर भरोसा किया।

भाषा अमित मनीषा

मनीषा


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