मराठा आरक्षण संबंधी बयान पर महाराष्ट्र के मंत्री ने आलोचना के बाद माफी मांगी

मराठा आरक्षण संबंधी बयान पर महाराष्ट्र के मंत्री ने आलोचना के बाद माफी मांगी

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  • Publish Date - September 26, 2022 / 07:41 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:26 PM IST

मुंबई, 26 सितंबर (भाषा) महाराष्ट्र के मंत्री तानाजी सावंत सोमवार को उस समय मराठा समूहों और विपक्षी दलों के निशाने पर आ गए जब उन्होंने दावा किया कि राज्य में सरकार के बदलने के बाद एक बार फिर से समुदाय के लिए आरक्षण की ‘खुजली’ शुरु हो गई।

उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल मई में, सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय को आरक्षण देने वाले महाराष्ट्र के कानून को असंवैधानिक करार दिया था।

सावंत ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘दो साल तक (मराठा) आरक्षण के संबंध में (उच्चतम न्यायालय द्वारा रोक लगाए जाने के बाद) कुछ भी नहीं हुआ। अब, राज्य में सरकार बदलने के बाद, आरक्षण के लिए खुजली है। यहां तक ​​कि मैं भी यह चाहता हूं और मेरी अगली पीढ़ी भी यह चाहती है। हम तब तक चुप नहीं बैठेंगे जब तक कि हम इसे (आरक्षण) प्राप्त नहीं कर लेते।’

शिवसेना के शिंदे धड़े के सदस्य सावंत ने कहा, ‘हमारे नेता एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस हमारी मांग के अनुसार आरक्षण सुनिश्चित करेंगे। जब तक आरक्षण नहीं मुहैया करा दिया जाता, वे तब तक चुप नहीं बैठेंगे।’

सावंत आरक्षण की मांग कर रहे मराठा समुदाय के हालिया प्रदर्शनों का जिक्र कर रहे थे।

सावंत की टिप्पणी पर मराठा समुदाय के साथ-साथ राजनीतिक दलों ने भी तीखी प्रतिक्रिया जताई।

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि उनका बयान आपत्तिजनक और गैर जिम्मेदाराना है। उन्होंने सावंत को बर्खास्त करने की मांग की। पटोले ने सावंत की टिप्पणी पर शिंदे और फडणवीस से भी राय देने को कहा।

अपनी टिप्पणी को लेकर निशाने पर आए सावंत ने बाद में माफी मांग ली और कहा कि उनका इरादा मराठा समुदाय की भावनाओं को आहत करने का नहीं था।

महाराष्ट्र के मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता चंद्रकांत पाटिल ने इस मुद्दे पर कहा, ‘2014 से 2019 के बीच फडणवीस सरकार ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया। इसे उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा। हालांकि, तत्कालीन (महा विकास आघाडी) सरकार उच्चतम न्यायालय में मुकदमा हार गई।’

पाटिल ने कहा, ‘आपने (एमवीए सरकार ने) पिछले ढाई साल में कुछ क्यों नहीं किया? हम भी आपका समर्थन करते। तानाजी सावंत का यही आशय था।’

भाषा अविनाश नरेश

नरेश