लातूर, 29 जनवरी (भाषा) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष डा सुखदेव थोराट ने रविवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में छात्रों को कौशल शिक्षा प्रदान करने के लिए बहु-विषयक पाठ्यक्रम स्वैच्छिक होना चाहिए, न कि अनिवार्य।
प्रख्यात अर्थशास्त्री और प्रोफेसर थोराट ने दयानंद एजुकेशन सोसाइटी और जयक्रांति शिक्षण प्रसारक मंडल के सहयोग से लातूर रोटरी क्लब की ओर से ‘बदलती राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्य और चुनौतियां’ विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि एनईपी में डिग्री पाठ्यक्रमों के लिये कई अवधि शिक्षा प्रणाली के भीतर एक पदानुक्रम बनाती है और इसके कुछ हिस्से गरीब छात्रों की पहुंच से बाहर हो सकते हैं।
थोराट ने कहा, ‘‘एनईपी का मुख्य उद्देश्य गुणवत्ता में सुधार तथा समानता और समावेश है। छात्रों को कौशल शिक्षा प्रदान करने के लिए एनईपी में बहु-विषयक पाठ्यक्रम स्वैच्छिक होना चाहिए, न कि अनिवार्य ।’’
एनईपी में तकनीकी शिक्षा सहित स्कूली शिक्षा में विभिन्न सुधारों का प्रस्ताव है। इसकी घोषणा 29 जुलाई 2020 को की गयी थी।
भाषा रंजन रंजन दिलीप
दिलीप
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