दशहरे पर महाराष्ट्र के एक गांव में की जाती है रावण की आरती

दशहरे पर महाराष्ट्र के एक गांव में की जाती है रावण की आरती

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  • Publish Date - October 5, 2022 / 12:57 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:36 PM IST

अकोला, पांच अक्टूबर (भाषा) विजयादशमी पर जब देश भर में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं तो वहीं महाराष्ट्र का एक गांव ऐसा भी है जहां दशहरा थोड़ा अलग अंदाज में होता है और यहां राक्षस राज की आरती की जाती है।

अकोला जिले के संगोला गांव के कई निवासियों का मानना है कि वे रावण के आशीर्वाद के कारण नौकरी करते हैं और अपनी आजीविका चलाने में सक्षम हैं और उनके गांव में शांति व खुशी राक्षस राज की वजह से है।

स्थानीय लोगों का दावा है कि रावण को उसकी “बुद्धि और तपस्वी गुणों” के लिए पूजे जाने की परंपरा पिछले 300 वर्षों से गांव में चल रही है। गांव के केंद्र में 10 सिरों वाले रावण की एक लंबी काले पत्थर की मूर्ति है।

स्थानीय निवासी भिवाजी ढाकरे ने बुधवार को दशहरा के अवसर पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ग्रामीण भगवान राम में विश्वास करते हैं, लेकिन उनका रावण में भी विश्वास है और उसका पुतला नहीं जलाया जाता है।

स्थानीय लोगों ने कहा कि देश भर से लोग हर साल दशहरे पर लंका नरेश की प्रतिमा देखने इस छोटे से गांव में आते हैं और कुछ तो पूजा भी करते हैं।

संगोला के रहने वाले सुबोध हटोले ने कहा, “महात्मा रावण के आशीर्वाद से आज गांव में कई लोग कार्यरत हैं। दशहरे के दिन हम महा-आरती के साथ रावण की मूर्ति की पूजा करते हैं।”

ढाकरे ने कहा कि कुछ ग्रामीण रावण को “विद्वान” मानते हैं और उन्हें लगता है कि उसने “राजनीतिक कारणों से सीता का अपहरण किया और उनकी पवित्रता को बनाए रखा”।

स्थानीय मंदिर के पुजारी हरिभाऊ लखड़े ने कहा कि जहां देश के बाकी हिस्सों में दशहरे पर रावण के पुतले जलाए जाते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, संगोला के निवासी “बुद्धि और तपस्वी गुणों” के लिए लंका के राजा की पूजा करते हैं।

लखड़े ने कहा कि उनका परिवार लंबे समय से रावण की पूजा कर रहा है और दावा किया कि गांव में सुख, शांति और संतोष लंका के राजा की वजह से है।

भाषा प्रशांत पवनेश

पवनेश