नींद का अधिकार बुनियादी मानवीय आवश्यकता: रात में ईडी की पूछताछ पर अदालत ने कहा

नींद का अधिकार बुनियादी मानवीय आवश्यकता: रात में ईडी की पूछताछ पर अदालत ने कहा

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  • Publish Date - April 15, 2024 / 09:43 PM IST,
    Updated On - April 15, 2024 / 09:43 PM IST

मुंबई, 15 अप्रैल (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने धनशोधन मामले में एक वरिष्ठ नागरिक से रात भर पूछताछ करने पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की आलोचना करते हुए सोमवार को कहा कि सोने का अधिकार एक बुनियादी मानवीय आवश्यकता है, जिसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने कहा कि बयान रात में दर्ज नहीं किए जाने चाहिए जब किसी व्यक्ति का संज्ञानात्मक कौशल क्षीण हो सकता है।

अदालत ने यह आदेश 64 वर्षीय राम इसरानी की याचिका पर दिया जिन्होंने धनशोधन मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी।

ईडी ने अगस्त 2023 में इसरानी को गिरफ्तार किया था।

उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि वह जारी किए गए समन पर सात अगस्त, 2023 को एजेंसी के सामने पेश हुए और उनसे पूरी रात पूछताछ की गई तथा अगले दिन मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

पीठ ने याचिका खारिज कर दी लेकिन कहा कि वह याचिकाकर्ता से रात भर पूछताछ करने की प्रथा को अस्वीकार करती है।

जांच एजेंसी के वकील हितेन वेनेगांवकर ने अदालत को बताया कि इसरानी ने रात में अपना बयान दर्ज कराने के लिए सहमति दी थी।

याचिका के अनुसार, ईडी अधिकारियों ने इसरानी से तड़के तक पूछताछ की।

अदालत ने कहा, ‘स्वैच्छिक या अन्यथा, हम उस तरीके की निंदा करते हैं जिस तरह इतनी देर रात में याचिकाकर्ता का बयान दर्ज किया गया, जो तड़के 3.30 बजे तक चला।’

इसने कहा कि सोने का अधिकार एक बुनियादी मानवीय आवश्यकता है और इससे वंचित करना व्यक्ति के मानवाधिकार का उल्लंघन है।

अदालत ने कहा कि वह समन जारी होने पर ईडी को बयान दर्ज करने के समय के बारे में एक परिपत्र/दिशा-निर्देश जारी करने का निर्देश देना उचित समझती है।

पीठ ने अनुपालन के वास्ते मामले को नौ सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

भाषा नेत्रपाल माधव

माधव