समलैंगिक जोड़े ने उपहार कर नियमों के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया

समलैंगिक जोड़े ने उपहार कर नियमों के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया

समलैंगिक जोड़े ने उपहार कर नियमों के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया
Modified Date: August 15, 2025 / 09:25 pm IST
Published Date: August 15, 2025 9:25 pm IST

मुंबई, 15 अगस्त (भाषा) एक समलैंगिक जोड़े ने पति-पत्नी को मिलने वाले उपहारों पर कराधान के संबंध में आयकर अधिनियम के एक भेदभावपूर्ण प्रावधान को बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।

दंपति की ओर से दायर याचिका में आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(एक्स) के पांचवें प्रावधान के विवरण में इस्तेमाल शब्द “जीवनसाथी” को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया है, क्योंकि यह समलैंगिक जोड़ों को “जीवनसाथी” शब्द के दायरे और परिभाषा से बाहर करता है।

आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(एक्स) के तहत बिना पर्याप्त प्रतिफल के प्राप्त कोई भी धन, संपत्ति या परिसंपत्ति, जिसका मूल्य 50,000 रुपये से अधिक है, पर “अन्य स्रोतों से आय” के रूप में कर लगाया जाता है।

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हालांकि, धारा का पांचवां प्रावधान ऐसे उपहारों के “रिश्तेदारों”, जिनमें “जीवनसाथी” भी शामिल हैं, से प्राप्त होने की सूरत में कर से छूट प्रदान करता है। अधिनियम में “जीवनसाथी” शब्द को अलग से परिभाषित नहीं किया गया है।

न्यायमूर्ति बीपी कोलाबावाला और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की पीठ ने बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान कहा कि याचिका आयकर अधिनियम के एक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देती है। उन्होंने भारत के अटॉर्नी जनरल को इस संबंध में नोटिस जारी किया।

अदालत ने मामले की सुनवाई 18 सितंबर के लिए स्थगित कर दी।

याचिका में आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(एक्स) के पांचवें प्रावधान का लाभ उन याचिकाकर्ताओं को भी देने का निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है, जो लंबे समय से स्थिर समलैंगिक संबंध में होने का दावा करते हैं।

भाषा पारुल माधव

माधव


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