Women made a separate identity by doing excellent work

IBC24 नारी रत्न सम्मान 2022 : उत्कृष्ट कार्य कर महिलाओं ने बनाई अलग पहचान, राज्यपाल अनुसुइया उइके ने किया सम्मानित

IBC24 नारी रत्न सम्मान 2022 : उत्कृष्ट कार्य कर महिलाओं ने बनाई अलग पहचान : Women made a separate identity by doing excellent work

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 02:00 PM IST, Published Date : March 24, 2022/7:43 pm IST

बिलासपुरः मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ के सबसे पसंदीदा चैनल IBC24 ने अपना सामाजिक और जनसरोकार निभाते हुए बिलासपुर में ‘IBC24 नारी रत्न सम्मान 2022’ का खास आयोजन किया। इस कार्यक्रम में राज्यपाल अनुसुइया उईके ने बतौर मुख्यअतिथि शामिल हुई। इस कार्यक्रम में राज्यपाल अनुसुइया उईके ने अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ठ कार्य करने वाली  14 महिलाओं को ‘IBC24 नारी रत्न सम्मान 2022’सम्मानित किया। इस अवसर पर अटल बिहारी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ए.डी.एन. वाजपेयी, संभागायुक्त डॉ. संजय अलंग, पुलिस महानिरीक्षक रतनलाल डांगी पं. सुंदरलाल शर्मा विवि की कुलसचिव डॉ इंदु अनंत और बिलासपुर SSP पारुल माथुर मौजूद रहे।

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इन महिलाओं को किया गया सम्मानित

वंदना उईके :

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की रहने वाली वंदना उईके मिसाल हैं उन युवतियों और महिलाओं के लिए जो पारिवारिक और प्रोफेशनल लाइफ को लीड करना चाहती हैं। वंदना ना केवल गृहणी के तौर पर घर संभालती हैं बल्कि न्यू वंदना हॉस्पिटल का पूरा प्रबंधन देखती हैं। अस्पताल में मरीजों के इलाज की व्यवस्था से लेकर तमाम सुविधाओं का पूरा प्रबंधन वंदना के नेतृत्व में ही किया जाता है। इसके साथ-साथ वंदना आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के उत्थान, शिक्षा, खेल और स्वरोजगार की दिशा में भी प्रयासरत हैं। खास तौर पर ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए उन्होंने जय बैगा बाबा खेलकूद विकास समूह का गठन किया है।

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डॉ इंदु अनंत :

किसान परिवार में जन्मीं डॉक्टर इंदु अनंत को बचपन से पढ़ाई-लिखाई का बड़ा शौक था। गांव से मैट्रिक के बाद ही 17 साल की उम्र में शादी के बंधन में बंधी इंदु ने पढ़ते रहने, खुद को साबित करने और समाज के लिए कुछ करने की ललक नहीं खोई। डॉ इंदु के संघर्ष का ही नतीजा था कि ये मध्य प्रदेश की पहली महिला चयनित सहायक कुलसचिव के तौर पर चयनित हुईं। स्वतंत्र छत्तीसगढ़ में अलग-अलग विश्वविद्यालय में सेवा देने के बाद वे पं सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय में बतौर कुलसचिव आज भी अपनी पूर्री ऊर्जा के साथ सक्रिय हैं।

डॉ प्रियंका महासेठ :

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर की रहने वाली डॉ प्रियंका महासेठ वैसे तो पेशे से डेंटिस्ट हैं लेकिन उन्होंने वो अपने प्रोफेशनल कमिटमेंट के साथ-साथ गौ-सेवा और जैविक खेती के उत्थान के लिए भी सतत प्रयासरत हैं। डॉ. प्रियंका गौ सेवा और जैविक खेती को एक जुनून की तरह जीती हैं। एक गाय की सेवा से और धीरे-धीरे कर प्रियंका आज सैकड़ों गायों की सेवारत हैं। खास तौर पर ऐसा गौवंश जिन्हें कोई पालना नहीं चाहता, उन्हें संरक्षित कर उनकी सेवा के साथ ही डॉ प्रियंका अपनी गौशाला से निकले गोबर, गौमूत्र और खाद का उपयोग कर जैविक खेती को भी बढ़ावा दे रही हैं। जैविक माध्यम से उन्होंने अब तक धान, गेहूं, सरसों, मक्का, साग-सब्जी के साथ ही फलदार पौधों की खेती कर एक मिसाल कायम की है।

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डॉ पलक जायसवाल :

चौकसे इंजीनियरिंग कॉलेज की डायरेक्टर डॉक्टर पलक जायसवाल जो समाजसेवा के क्षेत्र में एक मिसाल बन चुकी हैं। बिलासपुर की डॉ पलक जिन्होंने वूमेन इंपॉवरमेंट के लिए अथक प्रयास किए। डॉ पलक का एक ही उद्देश्य रहा है। समाज की महिलाएं सशक्त, शिक्षित और सुरक्षित रहें। खास तौर पर ग्रामीण अंचल में निवासरत गर्भवती महिलाओं और बच्चों को जरूरी न्यूट्रेशन निशुल्क मुहैया कराती हैं। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एकांक्या कैम्पेन के तहत उनकी संस्था लड़की के जन्म पर प्लांटेशन करती है। डॉ पलक ने अपनी बेटी के जन्म पर भी प्लांटेशन कर अभियान को आगे बढ़ाया।

शीलू साहू :

मुंगेली जिले में अपनी सियासी जमीन पक्की करती एक महिला जनसेवक शीलू साहू जो आज अपनी कार्य कुशलता और आमजनों की मदद के लिए सतत तत्पर रहती हैं। मुंगेली जिले की जिला पंचायत सदस्य शीलू साहू जनसेवा को अपना सबसे बड़ा लक्ष्य मानकर दिनरात इसी कार्य में जुटी हुई हैं।बैगा आदिवासियों-वनवासियों से जुड़ा मुद्दा हो या फिर दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की समस्याएं, शीलू साहू ने बेबाकी से जनसरोकार से जुड़े मुद्दों को उठाकर अपनी विश्वसनीय पहचान बनाई है। लोगों की मदद के लिए हर पल तैयार रहने वाली शीलू साहू को आईबीसी24 नारी रत्न सम्मान से नवाजा गया।

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शोभा पाठकः

एक सफल व्यवसायी और सशक्त महिला की जीवंत मिसाल हैं बिलासपुर की शोभा पाठक। अपने सपने को कैसे जमीन पर उतारा जाता है ये देखना हो तो मिलिए शोभा पाठक से जो आज ब्यूटी सलोन और फूड वर्ल्ड में जाना-माना नाम बन चुकी हैं…लेकिन ये सब हासिल करने के पीछे उनकी अथक और सतत मेहनत है। शहर के नामी मॉल में कैपेलो सलोन और तंत्रा-द फूड वर्ल्ड उनका कभी शोभा का ड्रीम था। आज वो हकीकत बन बिलासपुर वासियों का पसंदीदा डेस्टिनेशन है। अपने बिजनेस वैंचर्स का सफल संचालन कर वो बिजनेस वीमेंस के लिए परफेक्ट रोल मॉडल बनकर उभरी हैं।

विजयारानी कृष्णमूर्ति :

शारीरिक अक्षमता शरीर को कमजोर कर सकती है, इरादों को नहीं। इस बुलंद हौसले की जीती जागती मिसाल हैं। कोरिया की कुमारी विजयारानी कृष्णमूर्ति। छत्तीसगढ़ विकलांग एकता संघ की जिलाध्यक्ष विजयारानी अपनी दुश्वारियों को भूलकर बीते 15 सालों से दिव्यांगों का पता लगाकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने के लक्ष्य में जुटी हैं। नगर पालिका चिरमिरी के अंतर्गत आने वाले 40 वार्डों में घूम-घूम कर वो महिलाओं के 30 समूह बना चुकी हैं। विजयारानी समाज के उन लोगों के लिए करारा जवाब हैं जो मानते हैं कि शारीरिक अक्षमता अभिशाप हैं। अपनी कमजोरियों को मिलकर कैसे ताकत बनाया जाए ये सिखाने और कर दिखाने वाली कुमारी विजयारानी कृष्णमूर्ति को IBC24 नारी रत्न सम्मान से नवाजा गया।

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ब्रह्माकुमारी स्वाति दीदीः

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए समाज में महिला सशक्तिकरण, व्यसन मुक्ति, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, मूल्यनिष्ठ शिक्षा, स्वक्षता अभियान, तनाव मुक्त जीवन शैली जैसे विषय़ों पर सेवाकार्य कर रही हैं। स्वाति दीदी की सोच है, सशक्त समाज के लिए बेटी शिक्षा, व्यसन से मुक्ति, जल व पर्यावरण का संरक्षण और संवर्धन जरूरी है। इसके लिए वे सतत प्रयासों में जुटी हैं। संस्कारवान, स्वच्छ और स्वस्थ्य समाज निर्माण के लिए जीवन समर्पित करने वाली स्वाति दीदी को आज IBC24 नारी रत्न सम्मान प्रदान किया गया।

डॉ शैली ओझाः

चैतन्य कॉलेज पामगढ़ में हिंदी डिपार्मेंट की HOD डॉ शैली हिंदी साहित्य को सहेजने के साथ-साथ साहित्यकारों के उत्थान की दिशा में भी लगातार काम कर रही हैं। डॉ शैली, छत्तीसगढ़ में महिला साहित्यकारों पर शोध कर रही हैं। डॉ शैली का मानना है कि छत्तीसगढ़ की महिला साहित्यकारों ने नारी समस्याओं को बेहद गंभीरता से उठाया है। डॉ शैली देशभर में 30 से अधिक सेमीनार में हिस्सा लेकर हिंदी साहित्य पर प्रेजेंटेशन दे चुकी हैं। हिंदी साहित्य की सेवा के साथ ही डॉ शैली एक फुटबाल प्लेयर भी हैं।

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डॉ. उज्ज्वला कराडे :

बिलासपुर की गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. उज्ज्वला कराडे जिनकी सोच है समाज में बदलाव के लिए हमेशा कुछ नया और बेहतर करने की। इसी सोच को फलीभूत करने के लिए डॉ उज्जवला ने डॉक्टरी पेशे के साथ-साथ राजनीति को भी चुना। सक्रिय सियासत के जरिए वे स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा व्यवस्था को चौकस करने लिए प्रयासरत हैं। डॉ उज्ज्वला आज बतौर शहर अध्यक्ष पार्टी की कमान भी संभाल रहीं हैं। डॉ उज्जवला, समाज में लड़कियों-युवतियों की सेहत के साथ ही प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु कम करने की दिशा में सतत कार्य कर रही हैं।

 

मोनिका इजारदार :

रायगढ़ की मोनिका इजारदार जिला पंचायत में मास्टर ट्रेनर के तौर पर महिलाओं के लिए चलाए जा रहे माहवारी स्वच्छता अभियान में अहम योगदान दे रही हैं। 2014 से अभियान से जुड़ी मोनिका इसके लिए जागरुकता कार्यक्रमों सक्रिय हैं। वे महिलाओं को बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी पैड के निर्माण, वितरण और स्वयं भी अनिवार्य तौर पर उपयोग करने की प्रेरणा देती हैं। इसके लिए अपने मिशन को वो स्कूलों में छात्राओं से शुरू करती हैं। मोनिका ने ग्रामीण महिलाओं में माहवारी स्वच्छता को लेकर तमाम भ्रांतियों को दूर कर गावों में ही सेनेटरी पेड बनाने और उपयोग करने की सीख दी है।

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डॉ सुषमा सिंह :

समाजसेवा को सर्वोपरि मानकर डॉ सुषमा सिंह महिलाओं को स्वावलंबी और सशक्त करने की मुहिम में जुटी हैं। अपनी इस मुहिम के लिए सुषमा ने प्रोफेसर की नौकरी तक को त्याग दिया। सामाजिक संस्था निदान की फाउंडर डॉ सुषमा आदिवासी और ग्रामीण अंचल की महिलाओं को शारीरिक स्वच्छता और बीमारियों के प्रति जागरूक करती हैं। उन्हें अपनी संस्था निदान के जरिए सैनेटरी पैड, औषधीय लड्डू बनाने और सिलाई की ट्रेनिंग देकर स्वरोजगार से जोड़ने का काम भी कर रही हैं।

किरण सिंह :

न्यायधानी बिलासपुर की किरण सिंह बतौर डायरेक्टर बचपन प्ले स्कूल के जरिए बच्चों को शिक्षा का बेहतर माहौल दे रही है तो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी लगातार प्रयासरत है। संस्था सहयोग फाउंडेशन के जरिए किरण प्रदेश के महिलाओं को सशक्त, स्वावलंबी बना रही है। इनके अथक प्रयास से आज हजारों महिलाएं अगरबत्ती निर्माण, मेहंदी, पार्लर और रंगोली का प्रशिक्षण लेकर स्वरोजगार से जुड़ी हैं। समाज सेवा और नारी सशक्तिकरण की सशक्त किरदार बन चुकी किरण सिंह को IBC24 नारी रत्न सम्मान से नवाजा गया।

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IPS पारुल माथुर :

बिलासपुर में बतौर SSP जिले की कमान संभाल रही पारुल माथुर ने हर बार अपने प्रयासों से समाज को नई दिशा दिखाई है। अपने अभी तक के 14 साल की सर्विस में एक IPS के तौर पर अपने इलाके में कानून-व्यवस्था दुरूस्त रखने के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण की दिशा में कई नेक पहल की। जो पूरे प्रदेश के लिए मिसाल बनी। रेलवे में SP रहते मुंगेली, बेमेतरा समेत कई जिलों में महिला कमांडोज चेतना का गठन हो या फिर बिलासपुर में रक्षा टीम, छइंया और अभिव्यक्ति जैसी पहल हो पारुल माथुर ने किया और वो औरों के लिए प्रेरणा बन गया। अपने हर कदम से महिला को सशक्त बनाने वाली IPS पारुल माथुर को IBC24 नारी रत्न सम्मान प्रदान किया गया।